सरकार बनाएगी ऑटो रिक्शा चालकों और मालकों की समस्या को दूर करने के लिए नई नीति ...
Government will make a new policy to solve the problem of auto rickshaw drivers and owners ...
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राज्य सरकार ने इस वर्ष के बजट में रिक्शा चालकों के लिए ऑटो रिक्शा एवं टैक्सी चालक-मालिक कल्याण महामंडल स्थापित करने का निर्णय लिया है. इस महामंडल की नीति निर्धारित कर प्रभावी ढंग से लागू की जाएगी। साथ ही यह नीति व्यापक होगी। साथ ही लेबर बोर्ड के ड्राफ्ट पॉलिसी को आधार मानकर नीति का निर्धारण किया जाएगा।
मुंबई : आटोरिक्शा चालकों और मालकों की सभी समस्या और अड़चने को दूर करने के लिए सभी रिक्शा संगठनों को विश्वास में लेकर जल्द से जल्द एक नई नीति बनाई जाएगी। मंगलवार को विधानपरिषद में जेडीयू सदस्य कपिल पाटिल ने ध्यानकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से रिक्शा वालो को होने वाली समस्या का मुद्दा उपस्थित किया था जिसके जवाब में मंत्री दादाजी भूसे बोल रहे थे.
भुसे ने कहा कि राज्य सरकार ने इस वर्ष के बजट में रिक्शा चालकों के लिए ऑटो रिक्शा एवं टैक्सी चालक-मालिक कल्याण महामंडल स्थापित करने का निर्णय लिया है. इस महामंडल की नीति निर्धारित कर प्रभावी ढंग से लागू की जाएगी। साथ ही यह नीति व्यापक होगी। साथ ही लेबर बोर्ड के ड्राफ्ट पॉलिसी को आधार मानकर नीति का निर्धारण किया जाएगा।
दादाजी ने कहा कि राज्य में ऑटो रिक्शा के लाइसेंस आवेदन के दौरान सीएनजी और पीएनजी कोटे की क्षमता और अन्य सहायक मामलों की जांच की जाएगी। भुसे ने कहा कि रिक्शा चालकों द्वारा ऋण की अदायगी न करने के कारण रिक्शों को साहूकार द्वारा जब्त कर उस पर ब्याज सहित ऋण माफ करने का मामला सरकार के अधिकार में नहीं है, बल्कि वित्तीय संस्थान सरकार के निर्देशानुसार कार्य करते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के साथ ही अन्य कारणों से समय-समय पर की जाने वाली दंडात्मक कार्रवाई के संबंध में सरकार जांच कर सकारात्मक निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 146 के अनुसार वाहन का तृतीय पक्ष बीमा होना आवश्यक है। इस चर्चा में सदस्य अभिजीत वंजारी, महादेव जानकर, शशिकांत शिंदे, अनिल परब, एकनाथ खडसे और अनिकेत तटकरे ने भाग लिया।
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