छोटा राजन के सहयोगी की याचिका खारिज... कोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार
Petition of Chhota Rajan's associate rejected... Court refuses to grant bail
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आदेश में कोर्ट ने कहा कि यह स्थापित हो चुका है कि हथियार के जख्म के कारण डे की मौत हुई। अदालत ने कहा, यह तथ्य है कि आवेदक (काल्या) की निशानदेही पर अपराध में इस्तेमाल हुए हथियार की बरामदगी हुई। यह भी साबित हो गया है कि अपराध में हथियार का इस्तेमाल किया गया।
मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2011 में पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या के दोषी गैंगस्टर छोटा राजन के सहयोगी को जमानत देने और उसकी आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस एनडब्ल्यू साम्ब्रे और जस्टिस एनआर बोरकर की खंडपीठ ने 6 नवंबर को सतीश काल्या की जमानत और उसकी सजा को निलंबित करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि वह सजा को निलंबित कर जमानत पर रिहा होने के लायक नहीं हैं। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि यह स्थापित हो चुका है कि हथियार के जख्म के कारण डे की मौत हुई। अदालत ने कहा, यह तथ्य है कि आवेदक (काल्या) की निशानदेही पर अपराध में इस्तेमाल हुए हथियार की बरामदगी हुई। यह भी साबित हो गया है कि अपराध में हथियार का इस्तेमाल किया गया।
पीठ ने कहा कि भले ही काल्या ने जेल में लंबी अवधि बिताई हो, अदालत को आरोपी व्यक्तियों की पहले की सजा के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है। कोर्ट में कहा गया है कि आवेदक या अभियुक्त (काल्या) एक अंडरवर्ल्ड गिरोह का हिस्सा है। उसने योजनाबद्ध तरीके से सिंडिकेट प्रमुख छोटा राजन के इशारे पर अपराध को अंजाम दिया, जो वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद है।
एक विशेष अदालत ने मई, 2018 में डे की हत्या के लिए काल्या, छोटा राजन और छह अन्य को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सभी दोषी अभियुक्तों ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की है।
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