BMC बिना तैयारी के ही तबेलों को पालघर भेजने की बना रही योजना ... मुंबई में 59 लाइसेंस वाले तबेले, 204 बिना लाइसेंस के तबेले

BMC is planning to send the stables to Palghar without any preparation... There are 59 licensed stables and 204 unlicensed stables in Mumbai

BMC बिना तैयारी के ही तबेलों को पालघर भेजने की बना रही योजना ... मुंबई में 59 लाइसेंस वाले तबेले, 204 बिना लाइसेंस के तबेले

मुंबई में पहले प्राप्त लाइसेंसधारी तबेलों की संख्या 59 है। इनमें 3,607 जानवर रहते हैं। जबकि बिना लाइसेंस के 204 तबेले हैं और इसमें जानवरों की संख्या 6,352 हैं। इस तरह 263 तबेलों में कुल 9,959 जानवर हैं, जिन्हें पालघर में शिफ्ट किया जाएगा। गोरेगांव और मालाड पूर्व में सर्वाधिक तबेले हैं। मालाड में सर्वाधिक 34 तबेले हैं और यहां जानवरों की संख्या 1,635 है। इसी तरह गोरेगांव में 32 तबेले हैं, इसमें सर्वाधिक 2,224 जानवर रहते हैं। तीसरे नंबर पर अंधेरी ईस्ट आता है और यहां कुल 27 तबेले हैं, जिसमें 1,377 जानवर रहते हैं।

मुंबई: मुंबई में तबेलों का उल्लेखनीय इतिहास और संस्कृति रही है। करीब दो दशक पहले तक मुंबई में सुबह-शाम तबेलों के बाहर स्टील का डिब्बा लिए ताजा दूध लेने वालों की लाइन लगी रहती थी। कुर्ला, घाटकोपर, मुलंड, वर्ली, जोगेश्वरी, गोरेगांव, मालाड में बड़े-बड़े तबेले थे, जहां से लोग ताजा दूध लेते थे। इन तबेलों में करीब 90 हजार के आसपास दुधारू पशु थे, जो अब घट कर सिर्फ 10,000 तक सीमित रह गए हैं।

मुंबई में बचे 263 तबेलों को मुंबई से 140 किमी दूर पालघर जिले के दापचेरी में भेजने की योजना बनाई जा रही है। बीएमसी ने इन तबेलों का सर्वे किया है और जल्द ही तोड़ने के लिए नोटिस देने की योजना बना रही है। मुंबई का दूध व्यापारी असोसिएशन इसका विरोध कर रहा है। इनका आरोप है कि बिना किसी तैयारी के हमारे खिलाफ सरकार और बीएमसी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

राज्य सरकार ने दापचेरी में 6,500 एकड़ में एक डेयरी परियोजना स्थापित करने की योजना बनाई है। लेकिन एक दशक से वहां कुछ भी नहीं किया गया है। इन जमीनों पर गांव हैं और आदिवासियों के घर हैं। जब तक सरकार वह जमीन नहीं खाली करवाती, तब तक वहां कैसे तबेलों को शिफ्ट किया जा सकता है। वहां बिजली, पानी, शेड के बिना कैसे पशुओं को ले जाया जाएगा।

मुंबई और दापचेरी के बीच 140 किमी से अधिक की दूरी है। वहां से रोड के जरिए आने पर करीब 6 घंटे का समय लगेगा। ऐसे में तबेले वालों के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि वहां से मुंबई में कैसे ताजा दूध सप्लाई कर सकेंगे। मुंबई मिल्क प्रॉड्यूसर असोसिएशन के चंद्रकुमार सिंह ने बताया कि तबेलों से प्रतिदिन मुंबई में लगभग 2 लाख लीटर दूध सप्लाई होता है, लेकिन दापचेरी से यह संभव नहीं होगा। यदि तबेलों को मुंबई से हटाया गया, तो मुंबई में तबेला कल्चर ही खत्म हो जाएगा।

वर्ष 2007 में बॉम्बे मिल्क प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें मुंबई के तबेलों को आरे मिल्क कॉलोनी में स्थानांतरित करने की मांग की थी। चंद्रकुमार सिंह ने कहा कि आरे में अभी करीब 17,000 पशु हैं। बाकी बचे करीब 10,000 पशुओं को भी वहां शिफ्ट किया जा सकता है। यह हमारी पुरानी मांग है कि इससे मुंबई में ताजे दूध की उपलब्धता भी आसानी से होती रहेगी।

वर्ष 2005 में कैटल फ्री सिटी कानून बना, जिसके बाद मुंबई के तबेलों को पालघर के दापचेरी में शिफ्ट करने की योजना बनाई गई। मुंबई को पशुओं से मुक्त करने वाले कानून के खिलाफ बॉम्बे मिल्क असोसिएशन ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्हें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से निराशा हाथ लगी। मुंबई में ज्यादातर तबेले कलेक्टर लैंड पर हैं, इसलिए सरकार ने बीएमसी को पत्र लिखकर इन तबेलों को हटाने में असमर्थता जताई है और बीएमसी को इन्हें हटाने को कहा है। इसके बाद इन तबेलों का सर्वे किया गया, जिसमें 263 तबेलों को हटाने की लिस्ट सामने आई है। जल्द ही तबेलों को नोटिस जारी कर दिया जाएगा। इसके बाद बीएमसी तोड़क कार्रवाई शुरू करेगी।

मुंबई में पहले प्राप्त लाइसेंसधारी तबेलों की संख्या 59 है। इनमें 3,607 जानवर रहते हैं। जबकि बिना लाइसेंस के 204 तबेले हैं और इसमें जानवरों की संख्या 6,352 हैं। इस तरह 263 तबेलों में कुल 9,959 जानवर हैं, जिन्हें पालघर में शिफ्ट किया जाएगा। गोरेगांव और मालाड पूर्व में सर्वाधिक तबेले हैं। मालाड में सर्वाधिक 34 तबेले हैं और यहां जानवरों की संख्या 1,635 है। इसी तरह गोरेगांव में 32 तबेले हैं, इसमें सर्वाधिक 2,224 जानवर रहते हैं। तीसरे नंबर पर अंधेरी ईस्ट आता है और यहां कुल 27 तबेले हैं, जिसमें 1,377 जानवर रहते हैं।

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'तबेलों की जमीन पर बिल्डरों की नज़र'कुछ तबेला वालों का कहना है कि हमारी जमीन पर बिल्डरों की नजर है। हमें यहां से हटाने के बाद यह जमीन बिल्डरों को दे दी जाएगा। मुंबई में जहां तबेले हैं, वह जमीन अरबों की है जिस पर वर्षों से बिल्डरों की नजर है। जबकि यहां हमारा तबेला वर्षों से है। इन तबेलों में करीब 1,500 मजदूर उत्तर प्रदेश से आकर काम करते हैं, जिनकी रोजी-रोटी छिन जाएगी।

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