नई दिल्ली : मोटर दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस चिकित्सा उपचार की योजना तैयार की जाए; सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया
New Delhi: Supreme Court directs Central Government to prepare a plan for cashless medical treatment for motor accident victims

देशभर में बढ़ते सड़क दुर्घटना को देखते हुए बीते 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि मोटर दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस चिकित्सा उपचार की योजना तैयार की जाए। अब इस योजना की शुरुआत में देरी होने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र फटकार लगाई है। साथ ही सड़क परिवहन मंत्रालय को देरी को लेकर स्पष्टीकरण देने के लिए तलब किया।
नई दिल्ली : देशभर में बढ़ते सड़क दुर्घटना को देखते हुए बीते 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि मोटर दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस चिकित्सा उपचार की योजना तैयार की जाए। अब इस योजना की शुरुआत में देरी होने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र फटकार लगाई है। साथ ही सड़क परिवहन मंत्रालय को देरी को लेकर स्पष्टीकरण देने के लिए तलब किया।
मोटर दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस चिकित्सा उपचार में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही अदालत ने सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्पष्टीकरण देने के लिए तलब किया। मामले में सुनावई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने इस बात पर आपत्ति जताई कि 8 जनवरी के आदेश के बावजूद केंद्र सरकार ने इसका अनुपालन नहीं किया।
आदेश के बावजूद योजना नहीं हुई लागू
कोर्ट ने आगे कहा कि 8 जनवरी को दिए गए आदेश के बावजूद केंद्र ने योजना को लागू नहीं किया, जो कि एक गंभीर उल्लंघन है। सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने इस पर आपत्ति जताई। साथ ही कहा कि यह न केवल अदालत के आदेश का उल्लंघन है, बल्कि एक लाभकारी कानून को लागू करने में भी देरी हो रही है।
मंत्रालय को 28 अप्रैल तक देना होगा स्पष्टीकरण
अदालत ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से कहा कि यह उनका खुद का कानून है और यदि योजना लागू नहीं की जाती तो लोग अपनी जान गंवा सकते हैं। कोर्ट ने सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव को 28 अप्रैल को स्पष्टीकरण देने के लिए बुलाया।
8 जनवरी को कोर्ट ने दिया था आदेश
बता दें कि बीते 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया था कि मोटर दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस चिकित्सा उपचार की योजना तैयार की जाए, ताकि गोल्डन ऑवर में त्वरित चिकित्सा सुविधा मिल सके। कोर्ट ने सरकार से 14 मार्च तक यह योजना उपलब्ध कराने को कहा था। गोल्डन ऑवर वह समय होता है, जब दुर्घटना के बाद एक घंटे के भीतर चिकित्सा सहायता से जान बचाई जा सकती है।
न्यायालय में अवमानना का सामना कर रहे ब्यूरोक्रेट्स की याचिका पर कर्नाटक ट्रस्ट को नोटिस
कर्नाटक के शीर्ष ब्यूरोक्रेट्स ने 2017 के एक फैसले का पालन नहीं करने के आरोप में उच्च न्यायालय द्वारा उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। इस फैसले में उन्हें बेंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित जमनालाल बजाज सेवा ट्रस्ट को 350 एकड़ से अधिक भूमि वापस करने का आदेश दिया गया था। बुधवार को न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने कर्नाटक के प्रधान सचिव मंजूनाथ प्रसाद और अन्य आठ नौकरशाहों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलें सुनीं। सिब्बल ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही अनुपालन हलफनामा दाखिल कर दिया है, फिर भी अधिकारी अवमानना का सामना कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट को भेजा नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलील पर ध्यान दिया और ट्रस्ट को नोटिस जारी किया, क्योंकि राज्य के भूमि अधिकारियों ने ट्रस्ट की भूमि पर कब्जा कर लिया था, यह कहते हुए कि ट्रस्ट के पास कर्नाटक भूमि सुधार अधिनियम, 1961 के तहत अतिरिक्त भूमि है।
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