बॉम्बे हाई कोर्ट ने MMRDA को फटकारा... मुंबई मेट्रो के लिए ली 92 साल के बुजुर्ग की जमीन, नहीं दिया मुआवजा
Bombay High Court reprimanded MMRDA... Took land of 92 year old man for Mumbai Metro, did not give compensation
एमएमआरडीए की एक्जीक्यूटिव इंजीनियर (विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी) की निष्क्रियता से परेशान बुजुर्ग और अन्य लोगों ने कोर्ट में याचिका दायर की है। मामले में एमएमआरडीए के अधिकारियों की असंवेदनशीलता के लिए कोर्ट ने कमिश्नर संजय मुखर्जी को तलब किया था। कोर्ट के आदेश के तहत कमिश्नर मुखर्जी 3 अक्टूबर को जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस सोमशेखर सुंदरेशन की बेंच के सामने उपस्थित हुए थे।
मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने 92 साल के एक बुजुर्ग को अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर करने के मामले में एमएमआरडीए कमिश्नर को न्यायालय में पेश होने का आदेश दिया था। नाराज़ कोर्ट ने कमिश्नर को संबंधित अधिकारियों और याचिकाकर्ता के साथ एक संयुक्त बैठक के बाद बुजुर्ग की समस्या का हल निकालने का निर्देश दिया है। बता दें कि मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) ने मुंबई मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए गोरेगांव में स्थित बुजुर्ग याचिकाकर्ता की जमीन को अधिग्रहित किया था, लेकिन अब तक भूमि के मुआवजे को लेकर विवाद है, जिसका हल नहीं निकल पाया है।
एमएमआरडीए की एक्जीक्यूटिव इंजीनियर (विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी) की निष्क्रियता से परेशान बुजुर्ग और अन्य लोगों ने कोर्ट में याचिका दायर की है। मामले में एमएमआरडीए के अधिकारियों की असंवेदनशीलता के लिए कोर्ट ने कमिश्नर संजय मुखर्जी को तलब किया था। कोर्ट के आदेश के तहत कमिश्नर मुखर्जी 3 अक्टूबर को जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस सोमशेखर सुंदरेशन की बेंच के सामने उपस्थित हुए थे।
सुनवाई के दौरान, कमिश्नर ने एमएमआरडीए के संबंधित विभाग ने जिस तरीके से इस मामले को हैंडल किया, उस पर खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि एमएमआरडीए में भूमि अधिग्रहण के मामलों के लिए तत्काल एक व्यवस्था तैयार कर उसे सक्रिय करने की जरूरत है, ताकि भूमि अधिग्रहण से संबंधित मुद्दों को विभाग स्तर पर तेजी से निपटाया जा सके।
कमिश्नर ने कहा कि वे अब सारी स्थिति का जायजा लेंगे और भूमि अधिग्रहण के केसों को देखने वाले संबंधित विभाग के कामकाज (ऑपरेशन) लिए गाइडलाइन जारी करेंगे। इससे विभाग दिशा-निर्देशों के तहत कुशलता पूर्ण ढंग से जमीन अधिग्रहण से संबंधित केसों का निपटारा कर सकें। गाइडलाइन की एक प्रति कोर्ट में भी जमा की जाएगी। 10 अक्टूबर को याचिका पर अगली सुनवाई रखी गई है।
याचिका के अनुसार, बुजुर्ग की जमीन के मुआवजे के संबंध में 23 अगस्त 2019 को एक आदेश जारी किया गया था। हालांकि इससे बुजुर्ग संतुष्ट नहीं थे। इसलिए उन्होंने केस को लघुवाद न्यायालय में रेफर करने का निवेदन किया। बेंच के सामने एमएमआरडीए के वकील ने भी इस निवेदन पर सहमति जताई।
इस पर बेंच ने कहा,'बुजुर्ग की उम्र को देखते हुए मौजूदा प्रकरण में विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी की निष्क्रियता बर्दाश्त करने योग्य नहीं है, क्योंकि अधिकारी के चलते बुजुर्ग को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। वर्तमान मामले में कोर्ट के रेफरेंस में चार साल की देरी हुई है। एमएमआरडीए में सार्वजनिक परियोजनाएं शुरू करते समय बिना मुआवजे का आदेश पारित किए बिना जमीन ले ली जाती है, लेकिन मुआवजे की दिशा में सालों तक कदम (रेफरेंस के संदर्भ) नहीं उठाए जाते।'
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