महाराष्ट्र के स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन की सप्लाई पर टेंडर को चुनौती... HC में खारिज की याचिका
HC dismisses plea challenging tender on supply of sanitary napkins to schools in Maharashtra
69 वर्षीय एक स्टार्ट-अप के मालिक ने राज्य सरकार के 9,940 सरकारी स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन की आपूर्ति के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए टेंडरों में लगाई गई शर्तों को चुनौती दी थी.
महाराष्ट्र : दरअसल 69 वर्षीय एक स्टार्ट-अप के मालिक ने राज्य सरकार के 9,940 सरकारी स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन की आपूर्ति के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए टेंडरों में लगाई गई शर्तों को चुनौती दी थी, जिसे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की बैंच ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि छात्रों की स्वच्छा और सुरक्षा महत्वपूर्ण इसलिए सैनिटरी नैपकिन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए टैंडरों में ये शर्तें आवश्यक हैं.
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि स्कूली लड़कियों की सुरक्षा और स्वच्छता महत्वपूर्ण है और उस उद्देश्य के लिए गुणवत्ता को बनाए रखना होगा. कोर्ट ने कहा कि हमें टेंडर की शर्तों में कुछ भी गलत नहीं मिला. दरअसल सरकार ने अपने टेंडर में शर्त रखी थी की बोली लगाने वालों के पास सैनिटरी नैपकिन सप्लाई करने का तीन साल का अनुभव और उस कंपनी का सालाना टर्नओवर 12 करोड़ रुपए होना चाहिए. वहीं सरकार की ओर से पेश हुए वकील बीवी सामंत ने कोर्ट को बताया कि टेंडर में यह शर्त इसलिए रखी गई है ताकि उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहे.
जजों की बैंच अपने आदेश में कहा कि यह प्रोजेक्ट छात्राओं की सेफ्टी और उनकी सुरक्षा के लिए है. कोर्ट ने कहा कि यह परियोजना महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन की आपूर्ति से संबंधित है. इसमें राज्य सरकार के लिए ध्यान में रखने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारण सैनिटरी नैपकिन की गुणवत्ता है और इस उद्देश्य के लिए निर्माणकर्ता के पास अनुभव होना आवश्यक है. कोर्ट ने कहा कि चूंकि सैनिटरी नैपकिन की सप्लाई महाराष्ट्र के 9,040 स्कूलों में की जानी है इसलिए कंपनी का अनुभव और उसकी आमदनी भी एक महत्वपूर्ण कारक है.
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