माहिम विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में एक बार फिर, शिवसेना मनसे में होगी कांटे की टक्कर

एम.आई.आलम
मुंबई : पिछले दो चुनावों में शिवसेना और मनसे के बीच कांटे की टक्कर का गवाह रहे माहिम विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में एक बार फिर इन्ही दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर होने जा रही है। 1990 से ही शिवसेना के कब्ज़े में रही इस सीट पर 2009 मे पहली बार चुनाव मैदान में उतरी राज ठाकरे की महाराष्ट्र नव निर्माण सेना ने सेंध लगाते हुए कब्ज़ा कर लिया था। 2009 में मनसे प्रत्याशी नितिन सरदेसाई ने शिवसेना के सदा सरवनकर को लगभग 9 हज़ार वोटों से हराया था। 2014 में हुए चुनाव में शिवसेना ने अपनी परम्परागत माहिम सीट मनसे से वापस तो छीन ली लेकिन उसके लिये शिवसेना को कांटे की टक्कर से जूझना पड़ा था। इस बार शिवसेना प्रत्याशी सदा ने देसाई को लगभग 6 हज़ार मतों से मात दी थी। सदा सरवनकर ने 46291 वोट प्राप्त किये थे तो मनसे के नितीन सरदेसाई को 40350 वोट प्राप्त हुए थे। भाजपा के विलास अंबेरकर को 33446 वोट तो कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण नायक को 11917 वोट प्राप्त हुए थे।
लगभग ढाई लाख मतदाताओं वाले माहिम विधानसभा चुनावों में एक बार फिर इन दोनों पार्टियों के बीच मुकाबला दिख रहा है। शिवसेना ने जहां सदा सरवनकर पर भरोसा दिखाया है तो मनसे ने इस बार संदीप देशपान्उे को मौका दिया है। कांग्रेस की ओर से मैदान में एक बार फिर से प्रवीण नायक चुनौती देंगे। शिवसेना से गठबन्धन के चलते भाजपा का प्रत्याशी यहां पर नहीं है।
शिवसेना और मनसे दोनों का मुख्यालय इसी क्षेत्र में होने के कारण माहिम सीट दोनों ही पार्टी के लिये प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है। इस क्षेत्र का पुनर्विकास तेजी स ेचल रहा है जिससे माध्यम मराठी मतदाता बहुल इस सीट से मराठियों का पलायन तेजी से हो रहा है। इनकी जगह गुजराती और राजस्थानी ले रहे हैं। लेकिन अभी भी यह क्षेत्र माध्यम मराठी बहुल ही है।
पहले इस क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय भी ठीक ठाक आबादी में था। लेकिन पुनर्विकास के कारण बहुत बड़ी संख्या में मुस्लिमों का घर रोड कटिंग में चला गया। मुस्लिम समुदाय अधिकतर चॉलो में रहते थे। रोड कटिंग की नोटिस हाथ में आते ही यह औने पौने दाम पर अपने घर बेच कहीं और चले जाने को मजबूर हो गये। इसका सीधा फायदा बिल्डरों को हुए है.
इस बार क्या होगा यह तो अभी कुछ भी साफ नहीं है। पर इतना तो साफ है कि एक बार फिर यहां से शिवसेना और मनसे के बीच ही कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। कांग्रेस समेत अन्य प्रत्याशी मात्र खानापूर्ति ही करते ऩज़र आयेंगे।
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