... इस बार बाजारों में चाइनीज लाइटों से अधिक भारतीय लाइटों की डिमांड !
... This time there is more demand for Indian lights than Chinese lights in the markets!
होली, दिवाली जैसे भारतीय त्योहारों पर पिछले कई बरसों से ड्रैगन का दबदबा रहा है। हालांकि, अब स्थिति कुछ बदली नजर आ रही है। कुछ व्यापारियों का यह भी कहना है कि सस्ते चीनी सामान का मुकाबला आसान नहीं है। पालघर के एक व्यापारी का कहना है कि इस बार दिवाली पर चीन के सामानों की बिक्री पिछले साल की तुलना में काफी कम रहने का अनुमान है।
मुंबई : दिवाली को लेकर घरों की सजावट करने के लिए बाजारों में इलेक्ट्रिक एलईडी मालाओं की खूब मांग हो रही है। चाइनीज लाइटों से अधिक भारतीय लाइटों से बाजार भरे हुए हैं, इस बार चाइनीज लाइटों को लोग कम ही खरीद रहे हैं, क्योंकि इन पर हिंदुस्थानी लाइटें भारी पड़ती नजर आ रही हैं।
बाजारों में हिंदुस्थानी दीयों की भारी डिमांड है। अगर ऐसा रहा तो चीनी अर्थव्यवस्था औंधे मुंह गिर जाएगी, क्योंकि हिंदुस्थान का बाजार काफी बड़ा है। बता दें कि शहर के बाजारों से लेकर गली-गली इलेक्ट्रिक डेकोरेशन आइटम की दुकानें सजी हुई हैं। लेकिन इलेक्ट्रिक सजावट वाली दुकानों पर चीन की निर्मित लड़ियां नाम मात्र है।
दुकानदार भी स्वदेशी निर्मित इलेक्ट्रिक लड़ियों से लेकर उपकरण बेचने में प्राथमिकता दे रहे हैं। दुकानदारों के अनुसार, इस बार पिछले साल की तुलना में रंग बिरंगी लड़ियों के दामों में गिरावट है। चीन के साथ रिश्तों में बीते वर्षों से बढ़ती तनातनी के बीच इस बार त्योहारी सीजन में बाजारों में चीन के उत्पादों का जलवा कम होता दिख रहा है।
होली, दिवाली जैसे भारतीय त्योहारों पर पिछले कई बरसों से ड्रैगन का दबदबा रहा है। हालांकि, अब स्थिति कुछ बदली नजर आ रही है। कुछ व्यापारियों का यह भी कहना है कि सस्ते चीनी सामान का मुकाबला आसान नहीं है। पालघर के एक व्यापारी का कहना है कि इस बार दिवाली पर चीन के सामानों की बिक्री पिछले साल की तुलना में काफी कम रहने का अनुमान है।
यह दिवाली हमारे मूर्तिकारों, कुम्हारों के लिए बढ़िया रहने वाली है। अब ग्राहक चीन से आयातित देवी देवताओं की मूर्तियों के बजाय देश में बनी गॉड फिगर की मांग करने लगे हैं। इसके अलावा दीयों और मोमबत्तियों की मांग भी अधिक रहने की संभावना है।
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