अघोषित आपातकाल... सरकारी तंत्र का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर - कपिल सिब्बल
Undeclared emergency... misuse of government machinery on a large scale - Kapil Sibal
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सर्वोच्च न्यायालय लोकतंत्र को संरक्षित करने का प्रयास कर रहा है, पर कई मामले लंबित हैं। सिब्बल ने कहा कि इस मामले में समय बढ़ाने की मांग करना दिखाता है कि देरी हो रही है। दूसरी बड़ी चिंता का विषय वह तरीका है जिससे सीधे लेकिन संवेदनशील मामलों को गैर-सुनवाई वाली पीठों को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
नई दिल्ली : देश इस समय अघोषित आपातकाल की स्थिति में है। सरकारी तंत्र का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है। संविधान को कमजोर किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ न्यायपालिका चुप है, क्योंकि वह दबाव में है, यह कहना है वरिष्ठ वकील व राजनेता कपिल सिब्बल का।
लाइव लॉ के लिए लिखे आलेख में कपिल सिब्बल ने कहा है कि देश इस समय अघोषित आपातकाल से गुजर रहा है। कपिल सिब्ब्ल ने केंद्र में सत्तासीन भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में भाजपा शासित राज्यों और अन्य दलों द्वारा शासित राज्यों में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग और जबरदस्ती की रणनीति स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।
उन्होंने कहा, ‘हमने ऐसे मामले देखे हैं, जहां दल-बदल के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के पैâसले पर रोक लगा दी। इस प्रक्रिया की कार्यवाही एक माह के अंदर पूर्ण कर ली गई। जबकि अन्य मामलों में, दलबदल के मुद्दों पर वर्षों तक निर्णय नहीं लिया जाता है, स्थगन मांगा जाता है और दिया जाता है।
सर्वोच्च न्यायालय लोकतंत्र को संरक्षित करने का प्रयास कर रहा है, पर कई मामले लंबित हैं। सिब्बल ने कहा कि इस मामले में समय बढ़ाने की मांग करना दिखाता है कि देरी हो रही है। दूसरी बड़ी चिंता का विषय वह तरीका है जिससे सीधे लेकिन संवेदनशील मामलों को गैर-सुनवाई वाली पीठों को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
हम सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के अपने विवेक का प्रयोग करने की इच्छा पर सवाल नहीं उठाते हैं। उन्होंने कहा, ‘लेकिन यह सच है कि कई मामले लंबित हैं। इन दिनों हमारे लोकतंत्र के बुनियादी मूल्य खतरे में हैं।
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