ठाणे में दुष्कर्म के मामले में एक दिव्यांग समेत दो लोगों को कोर्ट ने सुनाई 20 साल की सजा
In a rape case in Thane, the court sentenced two people including a handicapped person to 20 years of imprisonment

ठाणे की विशेष पॉक्सो कोर्ट की जज रूबी यू मालवंकर ने 29 जून को मामले में आदेश परित करते हुए दोनों दोषियों पर 26-26 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है। कोर्ट के आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध कराई गई। विशेष पॉक्सो कोर्ट की जज ने दोषियों से मिलने वाली जुर्माने की राशि पीड़िता को मुआवजे के रूप में देने के निर्देश दिए।
ठाणेः ठाणे के एक कोर्ट ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में एक दिव्यांग समेत दो लोगों को 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। आरोपी ने साल 2019 में 12 वर्षीय किशोरी का दो महिने में कई बार योन शोषण किया था। एक कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि दोषियों ने बच्ची का पूरा जीवन बर्बाद कर दिया, जो अपूरणीय क्षति है।
ठाणे की विशेष पॉक्सो कोर्ट की जज रूबी यू मालवंकर ने 29 जून को मामले में आदेश परित करते हुए दोनों दोषियों पर 26-26 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है। कोर्ट के आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध कराई गई। विशेष पॉक्सो कोर्ट की जज ने दोषियों से मिलने वाली जुर्माने की राशि पीड़िता को मुआवजे के रूप में देने के निर्देश दिए।
उन्होंने पीड़िता को मुआवजा देने के लिए फैसला जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के पास भेजने के भी निर्देश दिए। विशेष लोक अभियोजक रेखा हिवराले ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता और उसके भाई-बहन महाराष्ट्र के ठाणे शहर के कलवा इलाके में अपने दादा-दादी के साथ रहते थे।
अक्टूबर 2019 में पीड़िता अपनी सहेली के साथ एक पार्क में गई, जहां एक आरोपी ने उसे लालच दे कर फुसलाया। आरोपी ने शारीरिक रूप से दिव्यांग दूसरे आरोपी के घर ले जाकर पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया और शोर मचाने पर उसका मुंह बंद कर दिया। आरोपी ने उसे अपराध के बारे किसी को कुछ बताने पर जान से मारने की धमकी भी दी। उसने पीड़िता को धमकाकर कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया। तीन दिसंबर 2019 को पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद दोनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
अदालत ने आरोपियों को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम सहित प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया। जज ने आदेश में कहा, “अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर, अपराध में दोनों आरोपियों की संलिप्तता स्पष्ट है।”
उन्होंने कहा कि हालांकि एक आरोपी ने “जबरन यौन अपराध” करने में व्यक्तिगत रूप से भाग नहीं लिया था, लेकिन उसने अपराध में मदद की। जज के अनुसार, वह पीड़िता को यह जानते हुए भी हर बार दूसरे आरोपी के घर ले गया कि वहां पीड़िता के साथ ‘जघन्य अपराध’ होगा। जज ने कहा कि दिव्यांग होने के बावजूद आरोपी ने अपराध में मदद की।
अदालत ने कहा, “मामले के तथ्यों और परिस्थितियों, प्रस्तुत साक्ष्यों और प्रस्तुत तर्कों के आलोक में प्रतीत होता है कि दोनों आरोपियों ने एक गंभीर और जघन्य अपराध किया तथा 12 साल की एक बच्ची का पूरा जीवन बर्बाद कर दिया। यह पीड़िता के लिए एक अपूरणीय क्षति है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती।”
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, सजा सुनाते समय इन तथ्यों पर विचार किया जाना भी आवश्यक है कि दोनों आरोपी युवा हैं और उनमें से एक दिव्यांग भी है। जज ने कहा, “अतः अदालत के विचार में आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा देने के बजाय, अभियुक्तों को जुर्माना सहित कम से कम सजा दी जानी चाहिए और इससे न्याय का उद्देश्य पूरा होना चाहिए।
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