कुर्ला में अवैध निर्माण गिराने के लिए मुंबई पुलिस बल उपलब्ध कराएं अडिशनल कमिश्नर- बॉम्बे हाई कोर्ट
Additional Commissioner of Mumbai Police should provide force to demolish illegal construction in Kurla- Bombay High Court
हाईकोर्ट ने कुर्ला क्षेत्र में ऐसे निर्माण को संरक्षण देने वाले अंतरिम आदेश को हटा दिया है। जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस कमल खाता की बेंच ने संबंधित क्षेत्र के अडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस को तोड़क कार्रवाई के लिए बीएमसी अधिकारियों को जरूरी पुलिस बल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा कि यदि कमिश्नर को लगे कि स्थानीय पुलिस बल पर्याप्त नहीं है, तो वे स्टेट रिजर्व पुलिस के जवान उपलब्ध कराएं।
मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने कुर्ला क्षेत्र में ऐसे निर्माण को संरक्षण देने वाले अंतरिम आदेश को हटा दिया है। जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस कमल खाता की बेंच ने संबंधित क्षेत्र के अडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस को तोड़क कार्रवाई के लिए बीएमसी अधिकारियों को जरूरी पुलिस बल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा कि यदि कमिश्नर को लगे कि स्थानीय पुलिस बल पर्याप्त नहीं है, तो वे स्टेट रिजर्व पुलिस के जवान उपलब्ध कराएं।
इससे पहले बीएमसी कमिश्नर ने बेंच को आश्वस्त किया कि तोड़क कार्रवाई को सात दिनों के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। जिस जगह अवैध निर्माण किया गया है, वहां पहुंचने का रास्ता काफी सकरा है। लिहाजा मजदूरों की मदद से ऐसे निर्माण को गिराना होगा। कार्रवाई की शुरुआत के लिए शीघ्रता से कदम उठाए जाएंगे। मगर इसके लिए पुलिस सुरक्षा की जरूरत होगी।
दरअसल, बीएमसी ने 22 अप्रैल 2016 को कुर्ला क्षेत्र में अवैध निर्माण करने वाले राजेंद्र गोमई को निर्माण हटाने के लिए नोटिस जारी किया था। गोमई ने नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी। तत्कालीन वेकेशन बेंच ने 11 मई 2016 को याचिकाकर्ता को मामले में यथास्थिति बरकरार रखने को कहा। यह आदेश समय-समय पर बढ़ता रहा।
इस बीच याचिकाकर्ता ने इस आदेश की आड़ में स्ट्रक्चर के ग्राउंड फ्लोर पर 5 हजार वर्ग फीट क्षेत्र में अवैध निर्माण कार्य किया। इस पर बीएमसी ने हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना की याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान गोमई के वकील ने कहा कि कोर्ट ने पहली मंजिल के स्ट्रक्चर को लेकर यथास्थिति का आदेश दिया था, जबकि उनके मुवक्किल ने ग्राउंड फ्लोर में निर्माण किया है। मगर कोर्ट ने इसे न्यायसंगत मानने से इनकार कर दिया।
बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता ने इस केस में न्यायिक प्रणाली को हल्के में लेने का प्रयास किया है। बेंच ने कहा कि वैसे भी यह एक दुर्लभ मामला है, जहां बीएमसी ने न्यायालय की अवमानना याचिका दायर कर न्यायालय के आदेश के उल्लंघन का मामला सामने लाई है। मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी।
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