मुंबई : ईडी ने ११ ठिकानों पर छापेमारी की, १ करोड़ रुपए की नकदी और आभूषण बरामद
Mumbai: ED raids 11 locations, recovers cash and jewellery worth Rs 1 crore
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में विदेशी लेन-देन के अंतिम लाभार्थियों का पता लगाने के लिए कानूनी और कूटनीतिक माध्यमों का उपयोग करने का पैâसला किया है। यह मामला १०,००० करोड़ रुपयों के अवैध विदेशी रेमिटेंस से जुड़ा है, जो हांगकांग, थाईलैंड और सिंगापुर स्थित इकाइयों को भेजा गया था। इन इकाइयों के मालिकों की जानकारी जांच के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि अवैध लेन-देन की सच्चाई उजागर हो सके। एजेंसी के मुताबिक, आरोपियों और ११० से अधिक फर्जी कंपनियों के नेटवर्क ने फर्जी माल ढुलाई शुल्क दिखाकर अवैध तरीके से धन विदेश भेजा।
मुंबई : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में विदेशी लेन-देन के अंतिम लाभार्थियों का पता लगाने के लिए कानूनी और कूटनीतिक माध्यमों का उपयोग करने का पैâसला किया है। यह मामला १०,००० करोड़ रुपयों के अवैध विदेशी रेमिटेंस से जुड़ा है, जो हांगकांग, थाईलैंड और सिंगापुर स्थित इकाइयों को भेजा गया था। इन इकाइयों के मालिकों की जानकारी जांच के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि अवैध लेन-देन की सच्चाई उजागर हो सके। एजेंसी के मुताबिक, आरोपियों और ११० से अधिक फर्जी कंपनियों के नेटवर्क ने फर्जी माल ढुलाई शुल्क दिखाकर अवैध तरीके से धन विदेश भेजा। इसके लिए उन्होंने फर्जी कंपनियों और निजी फर्मों के नाम से २६९ बैंक खाते खोले। जांच में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की भूमिका भी सामने आई है, जो कंपनियों को रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से संबंधित प्रक्रियाओं में मदद कर रहे थे।
यह जांच ठाणे पुलिस द्वारा दर्ज मामले के आधार पर शुरू हुई थी। ईडी ने हाल ही में मुंबई, ठाणे और उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ११ ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें १ करोड़ रुपए की नकदी और आभूषण बरामद किए गए। इसके अलावा, संपत्ति लेन-देन से जुड़े दस्तावेज और डिजिटल उपकरण भी जब्त किए गए।
बनाई ९८ डमी पार्टनरशिप फर्म
जांच में पता चला कि आरोपियों ने ९८ डमी पार्टनरशिप फर्म, १२ प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां बनार्इं और फर्जी वित्तीय लेन-देन को अंजाम देने के लिए आरटीजीएस का इस्तेमाल किया। यह लेन-देन कई बैंक खातों के जरिए घुमाया गया, जिससे धन के स्रोत को छिपाया जा सके। आखिर में यह धन १२ निजी कंपनियों के खातों में जमा किया गया, जो कथित तौर पर फ्रेट और लॉजिस्टिक्स के व्यवसाय में थीं। इसके बाद, फर्जी फ्रेट चार्जेस के बहाने यह रकम विदेश भेज दी गई। ईडी इस मामले में आगे की जांच कर रही है।
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