बॉम्बे हाईकोर्ट ने ED पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया; सिविल विवाद को आपराधिक मामले में बदलने का आरोप
Bombay High Court imposes Rs 1 lakh fine on ED; accused of turning civil dispute into a criminal case
बॉम्बे हाईकोर्ट ने ED पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह फाइन कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने। दो पक्षों के बीच एक सिविल विवाद को आपराधिक मामले में बदलने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाने पर लगाया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि ईडी ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया। इसके अलावा हाई कोर्ट ने मामले में शिकायतकर्ता पर भी उतना ही जुर्माना लगाया।
मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने ED पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह फाइन कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने। दो पक्षों के बीच एक सिविल विवाद को आपराधिक मामले में बदलने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाने पर लगाया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि ईडी ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया। इसके अलावा हाई कोर्ट ने मामले में शिकायतकर्ता पर भी उतना ही जुर्माना लगाया। हाईकोर्ट ने ईडी को सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती देने के लिए समय देते हुए कहा, 'शिकायतकर्ता या ईडी के लगाए गए धोखाधड़ी के आरोप में कोई तत्व नहीं है। अगर धोखाधड़ी नहीं हुई है, तो अपराध की कोई आय नहीं है।'
क्या है पूरा मामला
शिकायतकर्ता गुल अछरा ने 2007 में होटल बनाने के लिए राकेश जैन से मलाड में एक परिसर खरीदा था। उन्होंने होटल के लिए सुविधाएं बनाने के लिए सदगुरु एंटरप्राइजेज के साथ एक और समझौता किया और 4.27 करोड़ रुपये का भुगतान किया।
हाई कोर्ट ने कहा कि डिवेलपर को बिक्री समझौता करने और एक ही परिसर में सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक साथ सौदे को निष्पादित करने की अनुमति देने से कोई रोक नहीं है। शिकायतकर्ता ने सदगुरु को किए गए भुगतान का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि जैन ने इस 'अपराध की आय' से फ्लैट खरीदे। हाईकोर्ट ने कहा कि केवल वादा, समझौता या अनुबंध का उल्लंघन करना स्वतः ही आपराधिक विश्वासघात का अपराध नहीं बनता।
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