अदालत ने भाजपा नेता सोमैया को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी
मुंबई:बंबई उच्च न्यायालय ने नौसेना में सेवा से हटा दिये गये विमानवाहक पोत विक्रांत को बचाने के नाम पर जुटाये गये कोष के कथित गबन के मामले में भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया को गिरफ्तारी से बुधवार को अंतरिम राहत दे दी।
न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की एकल पीठ ने कहा कि मामले में गिरफ्तारी की स्थिति में सोमैया को 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा किया जाए।
न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने सोमैया को मामले में पुलिस की जांच में सहयोग करने का भी निर्देश दिया। साथ ही, उन्हें 11 से 18 अप्रैल के बीच चार दिन जांच अधिकारी आईओ से पूर्वाह्न 11 बजे से लेकर दोपहर दो बजे के बीच संपर्क करने को भी कहा।
उच्च न्यायालय सोमैया की याचिका पर दो सप्ताह बाद 28 अप्रैल को सुनवाई करेगा।
उल्लेखनीय है कि पूर्व सांसद सोमैया और उनके बेटे नील सोमैया के खिलाफ यहां ट्रॉम्बे पुलिस थाने में छह अप्रैल को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह मामला सेना के एक पूर्व कर्मी की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिन्होंने दावा किया था कि किरीट सोमैया ने विक्रांत के रखरखाव के लिए 2013 से लोगों से 57 करोड़ रुपये जुटाये थे।
शिकायत के मुताबिक, हालांकि इस धन को कभी उपयोग में नहीं लाया गया, ना ही इसे शुरूआती योजना के अनुरूप राज्यपाल के कार्यालय में जमा किया गया।
बुधवार को किरीट सोमैया की ओर से अदालत में पेश हुए अधिवक्ता अशोक मुंदारगी ने उच्च न्यायालय से कहा कि इस विषय को काफी राजनीतिक रंग दिया जा चुका है।
मुंदारगी ने कहा कि विक्रांत के लिये शुरूआत में चलाये गये कई अभियानों के तहत, सोमैया ने मुंबई में चर्चगेट पर एक अशंदान संग्रह कार्यक्रम का नेतृत्व किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘चर्चगेट पर एक कार्यक्रम में दिसंबर 2013 में 11,224 रुपये जुटाये गये। 2014 में, राज्य सरकार, बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने (युद्धपोत विक्रांत के रखरखाव की पहल से) अपने कदम पीछे खींच लिये और विक्रांत को तोड़ दिया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘कोई नहीं जानता था कि 57 करोड़ रुपये की यह रकम कहां से आई।
अदालत ने जब सवाल किया कि क्या सोमैया जानते हैं कि चर्चगेट पर जुटाये गये 11,000 रुपये का क्या हुआ, मुंदारगी ने कहा कि वह इस बारे में आश्वस्त नहीं है।
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