मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को फटकार; निवेशकों को असमंजस में रखकर जांच को सालों तक नहीं टाला जा सकता

Mumbai Police's Economic Offenses Wing reprimanded; investigation cannot be delayed for years by keeping investors in suspense

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को फटकार; निवेशकों को असमंजस में रखकर जांच को सालों तक नहीं टाला जा सकता

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण (वित्तीय प्रतिष्ठानों में) अधिनियम के तहत एक "धोखाधड़ी" मामले की उचित जांच में हुए विलंब के लिए कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने कहा कि किसी आपराधिक मामले में जांच को वर्षों तक लटकाए रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जिससे निवेशक असमंजस में रहें। 

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण (वित्तीय प्रतिष्ठानों में) अधिनियम के तहत एक "धोखाधड़ी" मामले की उचित जांच में हुए विलंब के लिए कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने कहा कि किसी आपराधिक मामले में जांच को वर्षों तक लटकाए रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जिससे निवेशक असमंजस में रहें। 

जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज के चव्हाण की खंडपीठ ने मामले के सुनवाई के दरमियान जानना चाहा कि क्या ईओडब्ल्यू उक्त मामले की जांच में 'गंभीर' थी, क्योंकि उसने अक्टूबर 2020 में दर्ज किए गए मामले के बावजूद आरोपपत्र दाखिल नहीं किया। कोर्ट ने यह देखते हुए कि यह एक "क्लासिक मामला है, जिसमें मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने निवेशकों को निराश किया है", अपने 17 दिसंबर के आदेश में कहा, 

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"हम इस बात से बेहद नाखुश हैं कि जिस तरह से ईओडब्ल्यू, मुंबई ने आरोपियों के खिलाफ एक बुनियादी आरोपपत्र दाखिल करने में चार साल लगा दिए। चाहे निवेशक हों, जो इस मामले में 600 से अधिक हैं या आरोपी, उन सभी की यह वाज़िब उम्मीद है कि जांच जल्द से जल्द पूरी हो। जांच को सालों तक लटकाए रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जिससे निवेशक असमंजस में रहें, उन्हें यह न पता हो कि मामले का नतीजा क्या होगा"। 

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मामले में एफआईआर 7 अक्टूबर, 2020 को आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 34 (सामान्य इरादा), 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 409 (लोक सेवक या बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितों के संरक्षण (वित्तीय प्रतिष्ठानों में) अधिनियम की धारा 3 (वित्तीय प्रतिष्ठानों द्वारा धोखाधड़ी से चूक) और 4 (जमा राशि वापस न करने पर संपत्ति की कुर्की) के तहत दर्ज की गई थी। मामले को उसी दिन ईओडब्ल्यू, यूनिट-8, मुंबई को स्थानांतरित कर दिया गया और फिर से नंबर दिया गया। अदालत ने कहा कि उक्त मामले में 600 से अधिक निवेशक हैं। पीठ ने कहा कि ऐसे निवेशक हैं, जो वरिष्ठ नागरिक हैं और जिन्होंने लाखों रुपये निवेश किए हैं।

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