शिरडी: साईं के चरणों में भक्त ने 203 ग्राम वजन का सोने का हार चढ़ाया
Shirdi: Devotee offered a gold necklace weighing 203 grams at the feet of Sai
नए साल के मौके पर भक्तों ने साल के पहले दिन साईं बाबा को खूब चढ़ावा चढ़ाया है। गौरतलब है कि देश-विदेश में लाखों भक्तों की साईं बाबा में आस्था है। इसी आस्था के चलते भक्तों ने नए साल के मौके पर साईं बाबा को खूब चढ़ावा चढ़ाया। 1 जनवरी 2025 को साईं भक्त श्रीमती बबीता टिकू ने साईं के चरणों में 203 ग्राम वजन का सोने का हार चढ़ाया है। इसकी कुल कीमत 13 लाख 30 हजार 348 रुपये है। उन्होंने साईं बाबा के चरणों में खूबसूरत कढ़ाई वाला हार चढ़ाया है।
शिरडी: नए साल के मौके पर भक्तों ने साल के पहले दिन साईं बाबा को खूब चढ़ावा चढ़ाया है। गौरतलब है कि देश-विदेश में लाखों भक्तों की साईं बाबा में आस्था है। इसी आस्था के चलते भक्तों ने नए साल के मौके पर साईं बाबा को खूब चढ़ावा चढ़ाया। 1 जनवरी 2025 को साईं भक्त श्रीमती बबीता टिकू ने साईं के चरणों में 203 ग्राम वजन का सोने का हार चढ़ाया है। इसकी कुल कीमत 13 लाख 30 हजार 348 रुपये है। उन्होंने साईं बाबा के चरणों में खूबसूरत कढ़ाई वाला हार चढ़ाया है।
बबीता टिकू साईं भक्त हैं और मूल रूप से जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हैं। हालांकि, फिलहाल वे शिरडी की रहने वाली हैं। उनके परिवार ने नए साल के मौके पर यह हार बाबा के चरणों में चढ़ाया। साईं बाबा संस्थान शिरडी के सीईओ गोरक्ष गाडिलकर ने इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि साईचरणों में 203 ग्राम वजन का सोने का हार आया है, जिसकी कीमत 13 लाख 30 हजार है। हाल ही में महाराष्ट्र के शिरडी में प्रसिद्ध मंदिर का प्रबंधन करने वाले श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट के लिए अच्छी खबर आई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना था कि ट्रस्ट गुमनाम दान पर कर छूट पाने का पात्र है।
ऐसा इसलिए क्योंकि यह धार्मिक और धर्मार्थ दोनों तरह का ट्रस्ट है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और सोमशेखर सुंदरसन की खंडपीठ ने आयकर विभाग द्वारा दायर एक अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के अक्टूबर 2023 के फैसले को चुनौती दी गई थी। इसने कहा कि चूंकि ट्रस्ट एक धर्मार्थ और धार्मिक दोनों तरह का निकाय है, इसलिए यह अपने गुमनाम दान पर आयकर छूट के लिए पात्र है।
श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट ने अक्टूबर 2024 में दावा किया था कि उसके पास धर्मार्थ और धार्मिक दोनों तरह के दायित्व हैं, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि यह पूरी तरह से धर्मार्थ ट्रस्ट है। आयकर विभाग के कर निर्धारण अधिकारी के अनुसार वर्ष 2015 से 2019 के बीच ट्रस्ट को बेनामी दान के रूप में बड़ी धनराशि प्राप्त हुई। विभाग ने कहा था कि इस राशि को कर से छूट नहीं दी जा सकती। आयकर विभाग के अनुसार वर्ष 2019 तक ट्रस्ट को कुल 400 करोड़ रुपये से अधिक का दान प्राप्त हुआ, लेकिन धार्मिक उद्देश्यों के लिए केवल 2.30 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए।
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