कल्याण-पनवेल टर्मिनस पर रेलवे की योजना; लंबी दूरी की ट्रेनों को रिंग रूट यानी सर्कुलर रूट पर चलाया जाएगा
Railway's plan on Kalyan-Panvel terminus; Long distance trains will run on ring route i.e. circular route
लोकल ट्रेनों को समय पर चलाने और उनकी पंक्चुअलिटी सुधारने के लिए सेंट्रल रेलवे ने नई योजना का प्रस्ताव दिया है। इस योजना के तहत लंबी दूरी की हॉलिडे स्पेशल मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों को रिंग रूट यानी सर्कुलर रूट पर चलाया जाएगा, ताकि मुंबई की लोकल ट्रेन प्रणाली पर उनका दबाव कम हो सके। यह योजना फिलहाल प्रस्तावित है और रेलवे मंत्रालय के पास इसकी समीक्षा के लिए भेजी गई है।
मुंबई: लोकल ट्रेनों को समय पर चलाने और उनकी पंक्चुअलिटी सुधारने के लिए सेंट्रल रेलवे ने नई योजना का प्रस्ताव दिया है। इस योजना के तहत लंबी दूरी की हॉलिडे स्पेशल मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों को रिंग रूट यानी सर्कुलर रूट पर चलाया जाएगा, ताकि मुंबई की लोकल ट्रेन प्रणाली पर उनका दबाव कम हो सके। यह योजना फिलहाल प्रस्तावित है और रेलवे मंत्रालय के पास इसकी समीक्षा के लिए भेजी गई है।
क्या है योजना?
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इस योजना के तहत लंबी दूरी की ट्रेनें एक लाइनियर (सीधे) ट्रिप के बजाय सिंगल सर्कुलर ट्रिप करेंगी। उदाहरण के लिए, अगर कोई ट्रेन मुंबई से उत्तर प्रदेश जाती है, तो यह ट्रेन कल्याण से चलेगी, ठाणे और पनवेल होकर उत्तर दिशा में जाएगी। वापसी में यह ट्रेन उत्तर प्रदेश के प्रमुख स्टेशनों जैसे प्रयागराज, वाराणसी और छपरा से होती हुई मुंबई लौटेगी। इस प्रक्रिया में ट्रेन किसी एक टर्मिनस स्टेशन पर समाप्त नहीं होगी।
छोटे रूट्स पर लागू करना होगा आसान
सर्कुलर रूट वाली ट्रेनों को छोटे रूट्स पर लागू करना आसान होगा। इस साल सेंट्रल रेलवे ने दिवाली और छठ पूजा के लिए मुंबई, पुणे और नागपुर से 570 विशेष ट्रेनें चलाई थीं। अधिकारियों का कहना है कि इस सर्कुलर रूट से ट्रेन के रेक और क्रू का बेहतर उपयोग हो सकेगा। ट्रेन को 4-6 घंटे रुककर पानी भरने और कोच की सफाई करने की जरूरत नहीं होगी। क्रू शेड्यूल के अनुसार बदल सकते हैं।
लंबी दूरी की ट्रेनों का मुंबई में प्रवेश होगा कम
फिलहाल मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी), दादर और लोकमान्य तिलक टर्मिनस (एलटीटी) पर लंबी दूरी की ट्रेनों का प्राइमरी मेंटेनेंस किया जाता है। इन ट्रेनों के मुंबई पहुंचने पर लोकल ट्रेन सिस्टम पर दबाव पड़ता है और देरी होती है। लेकिन इस योजना के लागू होने से लंबी दूरी की ट्रेनें कल्याण और पनवेल से ही यू-टर्न लेकर अपने गंतव्य की ओर लौट सकती हैं।
योजना का मकसद
रेलवे अधिकारियों का मानना है कि इस प्रस्ताव से ट्रेनों के टर्नअराउंड समय में कटौती होगी और लोकल ट्रेनों की समय-सारिणी पर लंबी दूरी की ट्रेनों का असर कम होगा। एक रेलवे अधिकारी ने बताया कि 60-70% यात्री लंबी दूरी की ट्रेनों से क़ल्यान पर ही उतर जाते हैं, जिससे ट्रेनें सीएसएमटी या एलटीटी पहुंचने तक लगभग खाली हो जाती हैं।
रेलवे का भविष्य का विज़न
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल जुलाई में कल्याण स्टेशन के ₹900 करोड़ के रीमॉडलिंग प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य लंबी दूरी और लोकल ट्रेनों के संचालन को अलग करना है। इससे यार्ड की क्षमता बढ़ेगी, ट्रेनों का संचालन सुगम होगा और भीड़भाड़ कम होगी। साथ ही, पनवेल को भी टर्मिनस में बदला जा रहा है और पनवेल से कर्जत तक नई लोकल रेल कॉरिडोर का निर्माण जारी है।
यात्रियों की प्रतिक्रिया : मुंबई रेल प्रवासी संघ के सदस्य सिद्धेश देसाई ने कहा, “हमने मांग की है कि कल्याण और पनवेल को प्राइमरी टर्मिनस बनाया जाए ताकि सीएसएमटी और एलटीटी पर दबाव कम हो। अगर यह योजना लागू होती है, तो लोकल ट्रेनों की समय-सारिणी पर लंबी दूरी की ट्रेनों के कारण होने वाली 10-15 मिनट की देरी से राहत मिलेगी। इस योजना को फिलहाल हॉलिडे स्पेशल ट्रेनों के लिए परीक्षण के रूप में चलाने की योजना है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इससे मौजूदा ट्रेन समय-सारिणी पर पड़ने वाला बोझ काफी कम हो जाएगा।
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