IIT छात्र की मौत में नया मोड़... परिवार ने जताई जातिवाद के चलते हत्या की आशंका!
New twist in IIT student's death... Family expressed fear of murder due to casteism!

महाराष्ट्र में आईआईटी-मुंबई के छात्र की आत्महत्या के मामले में नया मोड़ आ गया है. उसके परिजनों ने इस घटना को हत्या करार दिया है. आरोप लगाया है कि अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से होने की वजह से संस्थान में उसे भेदभाव का सामना करना पड़ा. वहीं, मुंबई पुलिस ने कहा कि परिवार की आशंको को भी मामले की विवेचना में शामिल किया गया है. इसी क्रम में बुधवार को पुलिस ने छात्रावास पहुंच कर यहा रहने वाले अन्य छात्रों के बयान दर्ज किए. इन छात्रों से पुलिस ने विभिन्न एंगल पर सवाल पूछकर घटना के तह तक जाने की कोशिश की.
मुंबई : महाराष्ट्र में आईआईटी-मुंबई के छात्र की आत्महत्या के मामले में नया मोड़ आ गया है. उसके परिजनों ने इस घटना को हत्या करार दिया है. आरोप लगाया है कि अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से होने की वजह से संस्थान में उसे भेदभाव का सामना करना पड़ा. वहीं, मुंबई पुलिस ने कहा कि परिवार की आशंको को भी मामले की विवेचना में शामिल किया गया है. इसी क्रम में बुधवार को पुलिस ने छात्रावास पहुंच कर यहा रहने वाले अन्य छात्रों के बयान दर्ज किए. इन छात्रों से पुलिस ने विभिन्न एंगल पर सवाल पूछकर घटना के तह तक जाने की कोशिश की.
पुलिस ने मामले की शुरुआती जांच के बाद कहा कि छात्र दर्शन सोलंकी (18) ने रविवार को अपनी जान लेने से पहले करीब 30 मिनट तक अहमदाबाद में अपने पिता से बात की थी. पुलिस ने बताया कि अभी तक संस्थान में जातीय भेदभाव के बारे में कोई तथ्य सामने नहीं आया है. उधर, मुंबई में पवई स्थित संस्थान ने पक्षपात के आरोपों को खारिज किया. वहीं छात्रों से पुलिस और आंतरिक जांच खत्म होने तक इंतजार करने का आग्रह किया है.
बता दें कि दर्शन सोलंकी (18) की रविवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पवई परिसर में एक छात्रावास की इमारत की सातवीं मंजिल से कथित तौर पर छलांग लगाने से मौत हो गई थी. वह अहमदाबाद का रहने वाला था और बी.टेक (केमिकल) पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष का छात्र था. दर्शन सोलंकी का परिवार अहमदाबाद शहर के मणिनगर इलाके में रहता है. परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि दर्शन को दलित होने के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ा. वह आत्महत्या नहीं कर सकता था.
दर्शन की मां तरलिकाबेन सोलंकी ने कहा कि उनका बेटा आत्महत्या नहीं कर सकता है. उसे आशंका है कि उनके बेटे की हत्या की गई है. उन्होंने कहा कि मृत्यु के कुछ घंटे पहले उसने हमें फोन किया था लेकिन उसने सामान्य रूप से बात की और ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि वह किसी तनाव में है. हालांकि जब वह मकर संक्रांति के दौरान घर आया था तो उसने अपनी चाची को बताया था कि अन्य छात्र उससे दूरी बना रहे हैं. वे इसलिए विक्षुब्ध थे क्योंकि दर्शन ने इतनी प्रगति की थी.
दर्शन के पिता रमेशभाई ने आरोप लगाया कि संस्थान के साथ-साथ अस्पताल के अधिकारियों ने मामले को दबाने की कोशिश की. इसलिए उनके मुंबई पहुंचने से पहले ही शव का पोस्टमार्टम कर दिया गया. उन्हें नहीं लगता कि यह आत्महत्या का मामला है. अगर आप सातवीं मंजिल से गिरेंगे तो आपको कई चोटें लगेंगी. लेकिन, पोस्टमॉर्टम के बाद जब मैंने अपने बेटे का चेहरा देखा तो मुझे कोई चोट के निशान नहीं दिखे. यह कैसे संभव है? और तो और, पोस्टमार्टम जल्दबाजी में किया गया और वह भी हमारी अनुमति के बिना. मुझे पोस्टमार्टम के बाद केवल उसका चेहरा देखने की अनुमति दी गई.
दर्शन की बहन जाह्नवी ने कहा कि उसके भाई की मौत के कारण अब तक साफ नहीं है. आईआईटी-बंबई प्रबंधन इस संबंध में लगातार अपना रुख बदलता रहा. जाह्नवी ने कहा कि उसका शव मेरे माता-पिता को न तो पोस्टमार्टम से पहले और न ही बाद में दिखाया गया. इससे पहले संस्थान ने हमें बताया था कि वह सीढ़ियों से गिर गया था. फिर प्रिंसिपल ने हमें बताया कि मेरा भाई इमारत से कूद गया है. ऐसा लगता है कि उसके भाई की हत्या की गई है. दूसरी ओर, आईआईटी-बंबई ने मंगलवार को संस्थान में जातिगत पूर्वाग्रह के आरोपों को खारिज किया.
कहा कि छात्र के दोस्तों से मिली शुरुआती जानकारी से पता चलता है कि कोई भेदभाव नहीं था. उसने छात्रों से पुलिस और आंतरिक जांच पूरी होने तक इंतजार करने का आग्रह किया. इससे पहले बुधवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने आईआईटी-बंबई का दौरा किया और दर्शन की मौत की गहन जांच की मांग की. अठावले ने कहा कि दर्शन ने रविवार को अपने पिता को फोन किया और उन्हें सूचित किया कि एक पेपर को छोड़कर, उसकी पहले सेमेस्टर की अन्य परीक्षाएं अच्छी रही.
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