मुंबई : विधायक एकनाथ खडसे ने राज्य के विभिन्न विभागों में चल रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरा
Mumbai: MLA Eknath Khadse cornered the government on the issue of corruption going on in various departments of the state.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विधायक एकनाथ खडसे ने विधान परिषद में अंतिम सप्ताह के प्रस्ताव पर भाषण देते हुए राज्य के विभिन्न विभागों में चल रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरा। इस दौरान उन्होंने आदिवासी विकास विभाग में भ्रष्टाचार का भी मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि इस विभाग में पिछले महीने ११४ करोड़ रुलाए का यूनिफॉर्म खरीद किया गया है, जबकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी।
मुंबई : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विधायक एकनाथ खडसे ने विधान परिषद में अंतिम सप्ताह के प्रस्ताव पर भाषण देते हुए राज्य के विभिन्न विभागों में चल रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरा। इस दौरान उन्होंने आदिवासी विकास विभाग में भ्रष्टाचार का भी मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि इस विभाग में पिछले महीने ११४ करोड़ रुलाए का यूनिफॉर्म खरीद किया गया है, जबकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी। इसलिए यह खरीद संदिग्ध है। उन्होंने इस पर हुई कार्रवाई पर भी उंगली उठाई।
विधायक एकनाथ खडसे ने कहा कि स्वास्थ्य, आदिवासी, परिवहन और सार्वजनिक निर्माण कार्य विभागों में भ्रष्टाचार जारी है। आदिवासी विकास विभाग द्वारा ११४ करोड़ रुपए की वर्दी और नाइट ड्रेस की खरीदी दर करार के आधार पर की गई, जबकि सरकार के नियमों के अनुसार एक करोड़ से अधिक की खरीदी निविदा प्रक्रिया के बिना नहीं की जा सकती। इसके अलावा इसमें से लगभग ७२ करोड़ रुपए की राशि आपूर्तिकर्ता संस्था को पहले ही भुगतान कर दी गई है। खास बात यह है कि १५ मार्च २०२४ को एक ही दिन में ९५ करोड़ रुपए के वर्दी आपूर्ति आदेश की फाइल पर आदिवासी विकास विभाग के लिपिक से लेकर सचिव और तत्कालीन मंत्री तक छह लोगों के हस्ताक्षर हैं। उसी दिन, आयुक्तालय को मंजूरी पत्र मिला और तत्कालीन आयुक्त ने भी आपूर्ति आदेश पर हस्ताक्षर किए।
कोर्ट में है मामला
इस संदिग्ध खरीदी के खिलाफ नासिक के एक याचिकाकर्ता ने मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट ने अगले आदेश तक आपूर्तिकर्ता को और भुगतान न करने का निर्देश दिया है। सरकार को हलफनामा पेश करने का आदेश दिया गया था, लेकिन समय पर हलफनामा नहीं दायर करने पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए १० हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
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