महाराष्ट्र सरकार बिलकीस बानो के मामले को गंभीरता से ले; राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र सरकार से की अपील
Maharashtra government should take Bilkis Bano's case seriously; NCP President Sharad Pawar appealed to Maharashtra Government
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उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए 2002 के दंगों के दौरान बिलकीस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया और दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल भेजने का निर्देश दिया।
मुंबई : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र सरकार से अपील की कि वह बिलकीस बानो के मामले को गंभीरता से ले और इस बात को ध्यान में रखे कि उच्चतम न्यायालय ने इस ‘जघन्य अपराध’ के बारे में क्या कहा है।
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को गुजरात सरकार पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए 2002 के दंगों के दौरान बिलकीस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया और दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल भेजने का निर्देश दिया।
गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को सजा में छूट दे दी थी और उन्हें रिहा कर दिया था। गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि उसने दोषियों को सजा में छूट देने के महाराष्ट्र सरकार के अधिकार को ‘हड़प’ लिया।
बिलकीस बानो द्वारा सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को खतरे में डाले जाने की आशंका जताए जाने के बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई अहमदाबाद से मुंबई स्थानांतरित कर दी थी। मामले के 11 दोषी अपनी सजा माफ करने के लिए महाराष्ट्र सरकार से गुहार लगा सकते हैं।
पवार ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘महिला पर जो कुछ गुजरा है और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या की गई है… उसे देखते हुए मुझे लगता है कि महाराष्ट्र सरकार इस मामले को गंभीरता से लेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा अनुरोध है कि इस मामले को गंभीरता से लें और इस बात को ध्यान में रखें कि उच्चतम न्यायालय ने इस जघन्य अपराध में शामिल लोगों के बारे में क्या कहा है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसा निर्णय लेना चाहिए जिससे यह संदेश जाए कि समाज में ऐसे अपराधों को स्वीकार नहीं किया जा सकता। घटना के वक्त बिलकीस बानो 21 साल की थीं और पांच माह की गर्भवती थीं। बानो से गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद 2002 में भड़के दंगों के दौरान दुष्कर्म किया गया था। दंगों में मारे गए उनके परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी।
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