परेशानी मोल ली... अंजाम भुगतेंगे, केस दर्ज होने पर भड़के मनोज जरांगे ने दी महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी !
Bought the trouble... will face consequences, Manoj Jarange, angry after the case was registered, warned the Maharashtra government!
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एक अधिकारी ने बताया कि दोनों घटनाओं में जरांगे घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे, लेकिन उनके समर्थक उनकी अपील पर सड़कों पर उतर आए थे, इसलिए उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए। लगभग 80 लोगों के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 135 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मुंबई: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बीड जिले में मनोज जरांगे के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। मनोज जरांगे पाटील पर बिना अनुमति के समर्थकों के विरोध प्रदर्शन करने और दो अलग-अलग स्थानों पर सड़क बंद करने का आरोप है। पुलिस ने उनके खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि दोनों घटनाओं में जरांगे घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे, लेकिन उनके समर्थक उनकी अपील पर सड़कों पर उतर आए थे, इसलिए उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए। लगभग 80 लोगों के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 135 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
शनिवार को शिरूर गांव के जतनंदूर फाटा और बीड जिले के पटोदा में बीड-अहमद नगर रोड पर विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें राज्य सरकार के खिलाफ नारे लगाए गए थे और सड़कें अवरुद्ध कर दी गईं। मराठवाड़ा के 1041 लोगों और बीड जिले के 425 लोगों के खिलाफ विभिन्न पुलिस थानों में मामला दर्ज किया गया है। इधर मनोज जरांगे ने इस मामले पर सरकार को चेतावनी दी है।
उधर, केस दर्ज किए जाने पर मनोज जरांगे ने एकनाथ शिंदे सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अगर वे मुझ पर मुकदमा चलाना चाहते हैं, तो मुझे कोई समस्या नहीं है, लेकिन ऐसा करके वे और परेशानी मोल लेंगे। लोग नाराज होंगे और सीएम और गृह मंत्री को इसके परिणाम भुगतने होंगे। अब यह उनका फैसला है।
लगातार आंदोलन और भूख हड़ताल के कारण मनोज जरांगे का स्वास्थ्य बिगड़ गया है। उनके स्वास्थ्य को कुछ राहत मिलनी चाहिए। इसलिए उन्हें आराम करना चाहिए। सरकार किसी से भी चर्चा करने के लिए हमेशा तैयार हैं। उन्हें आरक्षण के बारे में सरकार से जो कहना है कहें, सरकार के दरवाजे हमेशा खुले हैं। लेकिन बार-बार भूमिका बदलने और मुख्यमंत्री उप मुख्यमंत्री के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाने से मनोज जरांगे पाटील में मराठा समाज का भरोसा कम हो रहा है।
मंत्री शंभूराज देसाई मनोज जरांगे पर बारबार अपनी भूमिका बदलने का आरोप भी लगाया। शंभूराज देसाई ने मनोज जरांगे के समूचे आंदोलन की हकीकत बयान की। देसाई ने कहा कि मराठवाड़ा के नौ जिलों में सबसे पहले उन लोगों के उत्तराधिकारियों के कुनबी पंजीकरण की शुरुआत हुई जिनके पूर्वजों के पास कुनबी रिकॉर्ड थे।
उस समय जरांगे पाटील ने जो कहा था वह यह था कि रक्त संबंधियों को कुनबी प्रमाणपत्र दें। सरकार ने उनके मामले में निर्णय लिया। लेकिन बाद में उन्होंने इसे पूरे महाराष्ट्र में लागू करने की मांग कर दी। इस बारे में कैबिनेट में फिर चर्चा हुई। सरकार ने सारी व्यवस्थाएं फिर से काम पर लगा दीं।
जब मराठा समुदाय को स्वतंत्र आरक्षण देने की बात आई तो एक स्वतंत्र आयोग तैयार किया गया। शिंदे समिति नियुक्त की गई। शिंदे समिती की रिपोर्ट आने के बाद हमने पूरे महाराष्ट्र में एक लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं को इसी काम में लगाया। एक विस्तृत सर्वेक्षण के बाद हमने डेटा तैयार किया। इसके बाद कानून के कसौटी पर खरा उतरने वाला आरक्षण मराठा समाज को दिया।
लेकिन इसके बाद भी जरांगे पाटील की भूमिका की भूमिका बदलनी शुरू हो गई। उन्होंने कभी मुख्यमंत्री शिंदे पर आरोप लगाया, कभी गृहमंत्री फडणवीस पर आरोप लगाया। इस बार उन्होंने उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर जो आरोप लगाए और जिस तरह की भाषा का उन्होंने उपयोग किया। उससे मराठा समुदाय में भी नाराजगी है। ऐसा लगता है कि पीछे से कोई उन्हें बता रहा है और वो बातें कर रहे हैं।
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