महाराष्ट्र में MVA पर अटैक के 4 दिन बाद सोलापुर लोकसभा सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी ओवैसी की पार्टी

Owaisi's party will not contest elections from Solapur Lok Sabha seat, 4 days after the attack on MVA in Maharashtra.

महाराष्ट्र में MVA पर अटैक के 4 दिन बाद सोलापुर लोकसभा सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी ओवैसी की पार्टी

ओवैसी ने कहा था कि 2 शिवसेना, 2 दो एनसीपी, 1 बीजेपी और 1 कांग्रेस, ये 6-6 मिल कर इम्तियाज जलील की कामयाबी को रोकने के लिए आ रहे हैं। ये जान चुके हैं कि अकेले इम्तियाज़ जलील का मुक़ाबला नहीं कर सकते। अब एआईएमआईएम ने सोलापुर से चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है।

मुंबई: हैदराबाद के अपने गढ़ में बीजेपी के फायरब्रांड नेता माधवी लता की चुनौती का सामना कर रहे असुदद्दीन ओवैसी के तेवर 2024 में बदले नजर आ रहे हैं। देश के कई राज्यों में चुनाव लड़ रहे ओवैसी की महाराष्ट्र में नई सिसायत सामने आ रही है। 15 अप्रैल को असुदद्दीन ओवैसी ने औरंगाबाद के दौरे में महायुति के साथ महाविकास आघाड़ी (MVA) को निशाने पर लिया था।

ओवैसी ने कहा था कि 2 शिवसेना, 2 दो एनसीपी, 1 बीजेपी और 1 कांग्रेस, ये 6-6 मिल कर इम्तियाज जलील की कामयाबी को रोकने के लिए आ रहे हैं। ये जान चुके हैं कि अकेले इम्तियाज़ जलील का मुक़ाबला नहीं कर सकते। अब एआईएमआईएम ने सोलापुर से चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है।

महाराष्ट्र में AIMIM ने अकोला की सीट पर वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर का समर्थन करने का ऐलान किया था। अब AIMIM ने सोलापुर से अपने कैंडिडेट को नामांकन वापस ले लिया है। एमआईएम के जिला अध्यक्ष फारूक शाब्दी के अनुसार यह फैसला असदुद्दीन ओवैसी के आदेश के बाद लिया है। फैसला संविधान को बचाने के लिए लिया गया है।

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सोलापुर से कांग्रेस के दिग्गज नेता सुशील कुमार शिंदे की बेटी प्रणीति शिंदे मैदान में हैं। बीजेपी ने इस सीट से राम सतपुते को उतारा है। 2014 और 2019 में यह सीट बीजेपी ने जीती थी। 2009 में इस सीट से सुशील कुमार शिंदे विजयी हुई थी। AIMIM कैंडिडेट के नाम वापस लेने के बाद राजनीतिक हलकों में अटकलें लग रही है कि क्यों AIMIM कांग्रेस पार्टी को समर्थन दे रही है।

पार्टी ने सोलापुर से पूर्व विधायक रमेश कदम को लड़ाने की तैयारी की थी। AIMIM नेताओं का कहना है कि समाज के लोगों से बातचीत के बाद प्रत्याशी नहीं खड़ा करने का फैसला लिया गया है। सभी ने कहा था कि संविधान को बचाने के लिए वोटों का बंटवारा नहीं होना चाहिए। 2019 और 2019 के चुनावों में सुशील कुमार शिंदे को हार का सामना करना पड़ा था। 2019 में VBA और AIMIM के संयुक्त कैंडिडेट को 1 लाख 70 हजार वोट मिले थे। तब यह कहा गया था कि अगर VBA कैंडिडेट नहीं होता है तो शिंदे चुनाव जीत सकते थे।

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