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नई दिल्ली : मोदी, योगी को मारने की धमकी देने वाले को दो साल की जेल 

नई दिल्ली : मोदी, योगी को मारने की धमकी देने वाले को दो साल की जेल  मुंबई की एक अदालत ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का नाम लेकर पीएम नरेंद्र मोदी व यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को जान से मारने की धमकी देने वाले व्यक्ति को दो साल जेल की सजा सुनाई। इस व्यक्ति ने मुंबई पुलिस को फोन पर मोदी व योगी को मारने की धमकी दी थी। अदालत ने कहा, वह किसी तरह की सहानुभूति का हकदार नहीं है।
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Maharashtra 

नागपुर : बीवी ने अपने ही शौहर के कारनामों का खुलासा करते हुए उसे पहुंचा दिया जेल 

नागपुर : बीवी ने अपने ही शौहर के कारनामों का खुलासा करते हुए उसे पहुंचा दिया जेल  महाराष्ट्र के नागपुर से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है. यहां एक बहादुर बीवी ने अपने ही शौहर के कारनामों का खुलासा करते हुए उसे जेल पहुंचा दिया. जानकारी के अनुसार, आरोपी दूसरी महिलाओं को अपने जाल में फंसाकर उन्हें ब्लैकमेल करता था. उनके साथ बलात्कार करता. इसके बाद अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देकर पैसे ऐंठता था. इन सबके साथ ही वो अपनी बीवी को अक्सर प्रताड़ित करता रहता था.लेकिन इन सबके बावजूद महिला ने हार नहीं मानी और वो अपनी पति की असलीयत सबके सामने लेकर आई. 
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Maharashtra 

पत्नी आत्महत्या करके जेल भेजने की धमकी देती थी... बंबई हाई कोर्ट ने तलाक संबंधी आदेश को रखा बरकरार

पत्नी आत्महत्या करके जेल भेजने की धमकी देती थी... बंबई हाई कोर्ट ने तलाक संबंधी आदेश को रखा बरकरार बंबई उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि जीवनसाथी द्वारा आत्महत्या की धमकी देना या प्रयास करना ‘क्रूरता’ के समान है और यह तलाक का वैध आधार है। पति ने पारिवारिक अदालत में तलाक की अर्जी देते हुए आरोप लगाया था कि पत्नी ने उसे और उसके परिवार को आत्महत्या करके जेल भेजने की धमकी दी थी। उसने पारिवारिक न्यायालय में तलाक देने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत क्रूरता है। 
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Mumbai 

मुंबई: 37 साल पहले ड्रमों में छिपाया था 4300 किलो हशीश, अब हुई 20 साल की जेल

मुंबई: 37 साल पहले ड्रमों में छिपाया था 4300 किलो हशीश, अब हुई 20 साल की जेल अदालत ने कहा कि विशेषकर युवाओं में नशीली दवाओं की लत की व्यापक समस्या और मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए गंभीर दंडों को देखते हुए, उसके प्रति नरमी दिखाना उचित नहीं है। 2010 के बरी होने का जिक्र करते हुए, न्यायाधीश उस फैसले में टिप्पणियों से असहमत थे क्योंकि प्रारंभिक परीक्षण के बाद नए गवाहों की जांच की गई थी और अभियोजन पक्ष के सबूतों पर पर्याप्त रूप से विचार नहीं किया गया था।
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