विश्व पर्यावरण दिवस:लोगों में जागरूकता का प्रचार-प्रसार
Rokthok Lekhani
मुंबई, हर साल पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, मनाया भी जाना चाहिए ताकि पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता का प्रचार-प्रसार भी अच्छे से हो। धरती हमारी मां है, धरती हमारी जननी है और प्रकृति हमारा जीवन है। जी हां, प्रकृति के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं है लेकिन फिर भी हम विकास और आधुनिकता की दौड़ में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हम प्रकृति से दूर जा रहे हैं। अब झरना, नदी, झील और जंगल देखने के लिए हमें शहर से बहुत दूर जाना पड़ता है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का खामियाजा हम समय-समय पर भुगत भी रहे हैं। ये सब क्लाइमेट चेंज की वजह से ही हो रहा है। पेड़ों के कटने से हवा इतनी दूषित हो गई है कि शहरों में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। शहरों की लाइफ तो पर्यावरण और प्रकृति से बहुत दूर हो गई है। यहां रहनेवाले लोगों को ऐसी बीमारियां हो रही हैं, जो पहले न कभी सुनी और न कभी लोगों ने देखी। इन सबकी वजह कहीं न कहीं हमारी खराब होती लाइफस्टाइल भी है, जो पर्यावरण को नश्तर लगा रही है।
विकास के साथ दुनियाभर में पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचाया जा रहा है। वन और जंगल नष्ट किए जा रहे हैं। नदी और झरनों का रुख बदला जा रहा है, जिसकी वजह से पूरी दुनिया में प्रदूषण का लेवल बढ़ रहा है। बढ़ते प्रदूषण और प्रकृति को होनेवाले नुकसान को कम करने को लेकर जागरूकता अभियान चलाने के लिए पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। लोगों को प्रकृति को प्रदूषित होने से बचाने की अपील की जाती है।
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