मुंबई : वड़ा पाव विक्रेता को जिंदा जलाने के मामले में गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत

Mumbai: Bail to person arrested in case of burning Vada Pav seller alive

मुंबई : वड़ा पाव विक्रेता को जिंदा जलाने के मामले में गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत

व्यावसायिक विवाद के चलते वड़ा पाव विक्रेता को जिंदा जलाने के मामले में गिरफ्तार एक व्यक्ति को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। मामले की सुनवाई में तेजी लाना आरोपी का अधिकार बताते हुए ताशेरे कोर्ट ने बताया कि विभिन्न अदालतों द्वारा मामले की सुनवाई में तेजी लाने के दो आदेश दिए जाने के बावजूद मामले की सुनवाई में ज्यादा प्रगति नहीं हुई है। साथ ही आरोपी की जमानत याचिका भी स्वीकार कर ली गई। यह घटना उल्हासनगर में वर्ष 2017 में हुई थी।

मुंबई : व्यावसायिक विवाद के चलते वड़ा पाव विक्रेता को जिंदा जलाने के मामले में गिरफ्तार एक व्यक्ति को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। मामले की सुनवाई में तेजी लाना आरोपी का अधिकार बताते हुए ताशेरे कोर्ट ने बताया कि विभिन्न अदालतों द्वारा मामले की सुनवाई में तेजी लाने के दो आदेश दिए जाने के बावजूद मामले की सुनवाई में ज्यादा प्रगति नहीं हुई है। साथ ही आरोपी की जमानत याचिका भी स्वीकार कर ली गई। यह घटना उल्हासनगर में वर्ष 2017 में हुई थी। याचिकाकर्ता और मृतक दोनों ही वड़ा पाव बेचने का व्यवसाय करते थे। विवाद के चलते याचिकाकर्ता सुरेश आहूजा ने चंद्रलाल रामरत्यानी पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी। चंद्रलाल को अस्पताल ले जाया गया।

हालांकि, 80 प्रतिशत जल चुके चंद्रलाल की इलाज के दौरान मौत हो गई। पुलिस द्वारा दर्ज अपराध के अनुसार, जिस स्थान पर याचिकाकर्ता की वड़ा पाव की दुकान थी। उसी स्थान पर चंद्रलाल ने भी वड़ा पाव की दुकान शुरू की थी। दरअसल, आहूजा द्वारा वड़ा पाव की दुकान बंद करने के कुछ महीने बाद चंद्रलाल ने भी वहां वड़ा पाव की दुकान खोल ली। आहूजा को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने चंद्रलाल से कहा कि वे फिर से वड़ा पाव की दुकान खोलना चाहते हैं। हालांकि, चंद्रलाल ने याचिकाकर्ता की बात को खारिज कर दिया। इससे गुस्साए आहूजा ने चंद्रलाल पर मिट्टी का तेल डालकर उसे जिंदा जला दिया। इसमें उसकी मौत हो गई।

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न्यायमूर्ति रेवती डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने याचिकाकर्ता की दलीलों का संज्ञान लिया। साथ ही, यह कहते हुए कि आरोपी का अधिकार है कि उसकी त्वरित सुनवाई हो, ताशेरे कोर्ट ने बताया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ त्वरित सुनवाई का आदेश देने के बावजूद मामले में ज्यादा प्रगति नहीं हुई है। साथ ही, इसी कारण से याचिकाकर्ता को सशर्त जमानत दी गई। आहूजा के खिलाफ मामला कल्याण सत्र न्यायालय में चल रहा है। मुकदमे में देरी के कारण आहूजा ने दो बार जमानत मांगी थी। हालांकि, दोनों बार उन्हें जमानत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने भी उसे जमानत देने से इनकार करते हुए मामले की त्वरित सुनवाई का आदेश दिया था। हालांकि, याचिकाकर्ता पिछले सात सालों से जेल में है और उसके खिलाफ मामले में अब तक सिर्फ तीन गवाह दर्ज किए गए हैं।

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