मुंबई की विहार लेक में 70 साल के बारकू बापू धांगडे पर मगरमच्छ ने किया हमला... काटने पड़े पैर

70-year-old Barku Bapu Dhangde was attacked by a crocodile in Mumbai's Vihar Lake... his legs had to be amputated

मुंबई की विहार लेक में 70 साल के बारकू बापू धांगडे पर मगरमच्छ ने किया हमला... काटने पड़े पैर

डॉक्टरों ने कहा कि यदि पैर को जख्म वाली जगह से काटकर नहीं निकाला गया, तो संक्रमण पूरे पैर में फैल जाएगा। इसके बाद परिजन की सहमति से ऑपरेशन कर उनके बाएं पैर को घुटने के नीचे काटा गया। धांगडे और उनके बेटे के अनुसार उन्हें मालूम है कि पानी में मगरमच्छ हैं, लेकिन वह कई दशक से मछली पकड़ने का काम कर रहे हैं और कभी मेरे या किसी अन्य के साथ ऐसी घटना नहीं घटी। यह संयोग ही था कि वह बाल-बाल बच गए।

मुंबई : विहार तालाब में मछली पकड़ने गए बुज़ुर्ग पर मगरमच्छ ने हमला कर दिया। इस हादसे में बुज़ुर्ग की जान तो बच गई, लेकिन मगरमच्छ के हमले के कारण उन्हें अपना आधा पैर गंवाना पड़ा। बुज़ुर्ग का इलाज सायन अस्पताल में चल रहा है। बुजुर्ग लेक में मछली पकड़ने गए थे। मुलुंड के टेंभीपाडा निवासी बारकू बापू धांगडे (70) मछली पकड़ने के लिए विहार लेक गए थे, लेकिन वह मगरमच्छ की चपेट में आ गए। फिलहाल, उन्हें सायन अस्पताल में भर्ती कराया गया है। धांगडे ने बताया कि वह बचपन से यह काम कर रहे हैं।

बारकू बापू तालाब से मछली पकड़कर स्थानीय बाजार में बेचते हैं और उसी से परिवार का भरण-पोषण चलता है। इसी क्रम में रविवार की सुबह वह प्लास्टिक टोकरी लेकर विहार तालाब गए। उनके अनुसार, 'मैं टोकरी के ऊपर बैठा था और पैर पानी में था। इतने में मगरमच्छ ने मेरा पैर पकड़ लिया और मुझे घसीटने लगा।'

बारकू ने बताया, 'मेरे साथ मेरा भतीजा (भाई का लड़का) भी था, मैंने उससे आवाज देकर मदद मांगी। वह और आसपास मछली पकड़ने आए लोगों ने मुझे बचा लिया। मैं बाल-बाल बच गया, अन्यथा मगरमच्छ मुझे मार देता। हालांकि, मेरे पैर की एड़ी इतनी बुरी तरह उसने काटा कि वह आधी लटक रही थी। फिर, मेरे परिजन मुझे मुलुंड स्थित हॉस्पिटल ले गए, जहां से डॉक्टरों ने इलाज के लिए सायन अस्पताल में शिफ्ट किया।'

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धांगडे के बेटे सचिन ने बताया कि डॉक्टरों सोमवार की रात को उनके पिता के पैर का ऑपरेशन कर दिया है। अच्छा हुआ कि घटना के वक्त मेरा भाई उनके साथ था। हालांकि, जब उन्हें सायन अस्पताल लाया गया, तो वहां डॉक्टरों ने उनके पैर को बचाने की काफी कोशिश की, लेकिन चूंकि कटी हुई एड़ी में जान ही नहीं बची थी, इसलिए आधा पैर काटना पड़ा।

डॉक्टरों ने कहा कि यदि पैर को जख्म वाली जगह से काटकर नहीं निकाला गया, तो संक्रमण पूरे पैर में फैल जाएगा। इसके बाद परिजन की सहमति से ऑपरेशन कर उनके बाएं पैर को घुटने के नीचे काटा गया। धांगडे और उनके बेटे के अनुसार उन्हें मालूम है कि पानी में मगरमच्छ हैं, लेकिन वह कई दशक से मछली पकड़ने का काम कर रहे हैं और कभी मेरे या किसी अन्य के साथ ऐसी घटना नहीं घटी। यह संयोग ही था कि वह बाल-बाल बच गए।

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