मुंबई के ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) अस्पताल को है डॉक्टर की तलाश...ऐन वक्त पर दो डॉक्टरों ने जॉइन करने से किया इनकार
Mumbai's Tuberculosis (TB) Hospital is looking for a doctor... At present two doctors refused to join

मुंबई के ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) अस्पताल में पीडियाट्रिक वॉर्ड बनकर तैयार तो हो गया है, लेकिन अब तक डॉक्टरों की तलाश पूरी नहीं हुई है। शिवडी स्थित इस अस्पताल के उक्त वॉर्ड के लिए जिन दो डॉक्टरों का चयन किया गया था, उन्होंने ऐन वक्त पर जॉइन करने से इनकार कर दिया। लिहाजा, अब नए सिरे से डॉक्टरों की खोज फिर से शुरू की गई है। बीएमसी की संयुक्त कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी दक्षा शाह ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि जल्द ही अस्पताल में नए डॉक्टरों की नियुक्ति की जाएगी। इस संदर्भ में विज्ञापन जारी किया जाएगा।
मुंबई: मुंबई के ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) अस्पताल में पीडियाट्रिक वॉर्ड बनकर तैयार तो हो गया है, लेकिन अब तक डॉक्टरों की तलाश पूरी नहीं हुई है। शिवडी स्थित इस अस्पताल के उक्त वॉर्ड के लिए जिन दो डॉक्टरों का चयन किया गया था, उन्होंने ऐन वक्त पर जॉइन करने से इनकार कर दिया। लिहाजा, अब नए सिरे से डॉक्टरों की खोज फिर से शुरू की गई है। बीएमसी की संयुक्त कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी दक्षा शाह ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि जल्द ही अस्पताल में नए डॉक्टरों की नियुक्ति की जाएगी। इस संदर्भ में विज्ञापन जारी किया जाएगा।
बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, चयनित डॉक्टरों ने ड्यूटी क्यों नहीं जॉइन किया, इसकी वजह साफ नहीं हो पाई है। हालांकि यह पता चला है कि उनमें से एक डॉक्टर (बच्चों के डॉक्टर) ने इटली जाने की बात कह कर ड्यूटी जॉइन करने के लिए दो महीने का समय मांगा था। इसका मतलब है कि वह अस्पताल के टीबी वार्ड में काम करने की इच्छुक नहीं है। इसलिए अब फिर से रिक्त पदों के लिए जरूरी मंजूरी मिलने के बाद ही नए सिरे से विज्ञापन जारी करने की तैयारी हो रही है। जल्द ही डॉक्टरों की नियुक्ति का काम पूरा कर लिया जाएगा। जरूरत पड़ी तो डॉक्टरों को वॉक इन इंटरव्यू के लिए भी बुलाया जा सकता है।
टीबी के उपचार के लिए एशिया के सबसे बड़े इस अस्पताल में एक हजार से अधिक मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था है, लेकिन पिछले चार साल से यहां मरीज के रूप में किसी भी बच्चे को भर्ती नहीं कियाा गया है। बीएमसी द्वारा संचालित टीबी के इस अस्पताल में बच्चों के लिए पहले केवल दस बेड ही उपलब्ध थे, लेकिन अब बेड की संख्या बढ़कर 20 हो गई है। ऐसे में विशेषज्ञ बालरोग डॉक्टर की नियुक्ति से पल्मोनरी एवं नॉन पल्मोनरी अलाइनमेंट से पीड़ित बच्चों का प्रभावी ढंग से इलाज हो सकेगा। गौरतलब है कि साल 2018 में जब अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड को बंद किया गया था, तो टीबी से ग्रस्त बच्चों के इलाज के लिए वाडिया अस्पताल के साथ सामंजस्य करार किया गया था।
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