मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए SIT की जरूरत - मंत्री धनंजय मुंडे
SIT needed to investigate the violence during Maratha reservation movement - Minister Dhananjay Munde
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पुलिस ने लगभग 250-300 लोगों की पहचान की है, जिन्होंने सोलंकी के आवास पर हमला किया और बीड शहर में हिंसा में शामिल थे। हालांकि, जांच सही रास्ते पर है, जांच में तेजी लाने और मास्टरमाइंड और दोषियों की पहचान करने के लिए एसआईटी जांच की जरूरत है।' मुंडे ने कहा कि वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्रियों से मिलेंगे और बीड हिंसा की एसआईटी जांच की मांग करेंगे।
छत्रपति संभाजीनगर। मराठा आरक्षण को लेकर पिछले हफ्ते बीड जिले में आंदोलन के दौरान हिंसा हुई थी। अब इस हिंसा को लेकर महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने की मांग कर डाली है। बीड के संरक्षक मंत्री और राज्य के कृषि मंत्री ने आरोप लगाया है कि पिछले हफ्ते बीड में हुई हिंसा एक बड़ी साजिश थी। उन्होंने कहा कि हिंसा के पीछे के मास्टरमाइंड की जांच करने और उसकी पहचान करने के लिए एक एसआईटी गठित करने की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान बीड के विभिन्न हिस्सों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं देखी गईं। इस दौरान लोगों ने कुछ विधायकों के घरों में आग लगा दी। मुंडे ने रविवार को उन स्थानों का दौरा किया जहां हिंसा हुई और विधायक प्रकाश सोलंके, संदीप क्षीरसागर, पूर्व मंत्री जयदत्त क्षीरसागर के आवास और अन्य स्थानों का दौरा किया। मीडिया से बात करते हुए मुंडे ने कहा, 'जब माजलगांव में सोलंकी के आवास को आग लगा दी गई और भीड़ को नियंत्रित नहीं किया जा सका, तो पुलिस मुख्यालय से एक बल इलाके में भेजा गया। इसके बाद हिंसा बीड शहर तक फैल गई और यहां बल पर्याप्त नहीं था।' उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया यह पुलिस की खुफिया विफलता है।
मंत्री ने कहा, पुलिस ने लगभग 250-300 लोगों की पहचान की है, जिन्होंने सोलंकी के आवास पर हमला किया और बीड शहर में हिंसा में शामिल थे। हालांकि, जांच सही रास्ते पर है, जांच में तेजी लाने और मास्टरमाइंड और दोषियों की पहचान करने के लिए एसआईटी जांच की जरूरत है।' मुंडे ने कहा कि वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्रियों से मिलेंगे और बीड हिंसा की एसआईटी जांच की मांग करेंगे।
उन्होंने दावा किया कि घटनाओं की गहराई से जांच की जाएगी और पुलिस की भूमिका की भी जांच की जाएगी, क्योंकि हिंसा आठ घंटे तक चली थी। मुंडे ने कहा यह एक सोची-समझी साजिश है, क्योंकि जिन घरों को निशाना बनाया गया, उन्हें नंबर दिए गए थे। हमने ऐसे आंदोलन देखे हैं, जहां सरकारी कार्यालयों को निशाना बनाया गया। यहां तक कि स्वतंत्रता सेनानियों ने भी कभी अंग्रेजों के घरों पर हमला नहीं किया। जन प्रतिनिधियों के आवासों को आग लगाना समझ से परे है।'
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