मजदूरों की जान बचाने के लिए पहाड़ के ऊपर से ड्रिल करने का प्लान...
Plan to drill from the top of the mountain to save the lives of workers...
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राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के निदेशक अंशु मनीष खलखो का कहना है कि ऊपर से ड्रिलिंग के लिए वैज्ञानिक सर्वे के तहत लगभग १०३ मीटर चौड़ाई वाले क्षेत्र से ड्रिलिंग की जाएगी। टनल के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग के साथ साइड से भी ड्रिलिंग करने की योजना है। इसमें ऊपर से १०३ मीटर की चौड़ाई और साइड से ड्रिलिंग के लिए १७७ मीटर की दूरी मिली है। ऊपर से ड्रिल कर मजदूर तक खाना और पानी पहुंचाया जाएगा, जबकि साइड से ड्रिलिंग कर उन्हें बाहर निकालने के लिए रास्ता बनाया जाएगा।
नई दिल्ली : उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में निर्माणाधीन टनल में फंसे ४१ श्रमिकों को निकालने के अभी तक के प्र्रयास फेल नजर आ रहे हैं। अब मजदूरों की जान बचाने के लिए पहाड़ के ऊपर से ड्रिल करने का प्लान बनाया गया है। उधर टनल में पंâसे श्रमिकों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। वे अपने ही साथियों से पूछ रहे हैं कि तुम काम भी कर रहे हो या सिर्पâ झूठ बोल रहे हो। मजदूरों को सूखे मेवे के अलावा एंटी डिप्रेशन दवाएं भी भेजी जा रही हैं। कल वेंâद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ सिल्क्यारा टनल पहुंचे और रेस्क्यू कार्यों का जायजा लिया। टनल में श्रमिकों को पंâसे हुए कल रविवार को आठ दिन हो गए।
उन्हें भले ही चना, बादाम आदि खाने के लिए दिया जा रहा हो, लेकिन वे भी यही कह रहे हैं कि सूखा खाना कब तक उन्हें बचाए रखेगा। टनल में पंâसे श्रमिकों को जहां एक-एक पल भारी पड़ रहा है तो वहीं बाहर खड़े उनके परिजन भी बेहाल हो रहे हैं, लेकिन सुरंग के बाहर से हटने को तैयार नहीं हैं। बस एक ही बात कह रहे हैं कि वे अपनों को लेकर ही यहां से वापस जाएंगे। परिजनों का यहां तक कहना है कि वंâपनी मजदूरों को नहीं, बल्कि सुरंग को बचाने में जुटी हुई है।
सुरंग के अंदर स्थिति अच्छी नहीं है। सुरंग में काम करने वाले लोडर ऑपरेटर मृत्युंजय कुमार की अंदर पंâसे मजदूरों से बात हुई। उनका कहना है कि सुरंग के भीतर की स्थिति अच्छी नहीं है। एक सप्ताह का समय हो गया है, लेकिन अंदर पंâसे हुए लोगों को निकालने के लिए कोई खास काम नहीं हुआ है। उन्हें अपने साथियों को झूठ बोलना पड़ रहा है कि मशीन लगी हुई है और तुम्हें जल्द बाहर निकाल लिया जाएगा। बाहर से बराबर उनका हौसला बढ़ाया जा रहा है, लेकिन अब उनके सब्र का बांध टूट रहा है।
मृत्युंजय का कहना है कि अंदर पंâसे साथियों को भी हालात का अंदाजा है, इसलिए वे भी जानते हैं कि बाहर खड़े लोग कितना झूठ बोल सकते हैं। उत्तरकाशी पहुंचे प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे और पीएमओ के उप सचिव मंगेश घिल्डियाल ने मीडिया को बताया है कि अब ड्रिलिंग के पांच साइट पर काम होगा। सिल्क्यारा सुरंग में पंâसे मजदूरों को निकालने के लिए अब पहाड़ के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग होगी।
वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए चार स्थानों की पहचान की गई है। वहां तक पहुंचने के लिए अस्थायी रास्ता बना दिया गया है। नए सिरे से रेस्क्यू कार्य शुरू किए जाने के बावजूद हालात को देखते हुए अभी ४ से ५ दिन का समय और लग सकता है। हालांकि, ड्रिलिंग के लिए अस्थायी मार्ग तैयार कर लिया गया है। इसके बाद एक पोकलैन मशीन को ऊपर पहुंचाया गया है।
राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के निदेशक अंशु मनीष खलखो का कहना है कि ऊपर से ड्रिलिंग के लिए वैज्ञानिक सर्वे के तहत लगभग १०३ मीटर चौड़ाई वाले क्षेत्र से ड्रिलिंग की जाएगी। टनल के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग के साथ साइड से भी ड्रिलिंग करने की योजना है। इसमें ऊपर से १०३ मीटर की चौड़ाई और साइड से ड्रिलिंग के लिए १७७ मीटर की दूरी मिली है। ऊपर से ड्रिल कर मजदूर तक खाना और पानी पहुंचाया जाएगा, जबकि साइड से ड्रिलिंग कर उन्हें बाहर निकालने के लिए रास्ता बनाया जाएगा।
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