महाराष्ट्र : लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किसी धर्म का जरूरी हिस्सा नहीं, शोर काबू करे महाराष्ट्र सरकार, बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश
Maharashtra: Use of loudspeaker is not an essential part of any religion, Maharashtra government should control noise, Bombay High Court orders
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। अदालत ने कानूनी एजेंसियों को ध्वनि प्रदूषण मानदंडों और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया। जस्टिस ए.एस. गडकरी और एस.सी. चांडक की बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। बेंच ने कहा कि शोर स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है। कोई भी यह दावा नहीं कर सकता है कि अगर उसे लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाती है तो उसके अधिकार किसी भी तरह से प्रभावित होते हैं।
मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। अदालत ने कानूनी एजेंसियों को ध्वनि प्रदूषण मानदंडों और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया। जस्टिस ए.एस. गडकरी और एस.सी. चांडक की बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। बेंच ने कहा कि शोर स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है। कोई भी यह दावा नहीं कर सकता है कि अगर उसे लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाती है तो उसके अधिकार किसी भी तरह से प्रभावित होते हैं।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार प्रार्थना स्थलों के लाउडस्पीकर, वॉइस एम्प्लिफायर और पब्लिक अड्रेस सिस्टम के शोर पर काबू करने के लिए गंभीरता से विचार करे। कैलिब्रेशन और ऑटो फिक्सेशन के जरिए स्पीकर के डेसिबल लिमिट (शोर की सीमा) पर लगाम लगाई जाए।
ऐप डाउनलोड करके जांच करने को कहा
प्रार्थना स्थलों और दूसरे संस्थानों को साउंड उपकरणों में इन बिल्ट मैकेनिज्म की व्यवस्था बनाने के निर्देश जारी किए जाएं। सरकार सभी पुलिस अधिकारियों को ध्वनि सीमा को मापने और जांचने के लिए ऐप अपलोड करने का निर्देश दे। जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस श्याम चंडक की बेंच ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।
दिन में 55 डिसिबल से ज्यादा साउंड नहीं
इस मुद्दे पर जागो नेहरू नगर रेसिडेंट्स वेलफेयर असोसिएशन ने याचिका दायर की थी। याचिका में कुर्ला इलाके में प्रार्थना स्थल के लाउडस्पीकर से होने वाले ध्वनि प्रदूषण पर पुलिस की निष्क्रियता के मुद्दे को उठाया गया था। नियमानुसार, दिन में लाउड स्पीकर डेसीबल लेवल 55 और रात में 45 तय किया गया है। यदि किसी इलाके में कई प्रार्थना स्थल हैं, तो एक का नहीं, बल्कि सभी के स्पीकर का मिलकर उक्त डेसीबल लेवल होना चाहिए।
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